बुधवार, 5 अक्टूबर 2011

पाई कमेब नै जानैत छैथ तें,

पाई कमेब नै जानैत छैथ तें, अपन हाथ पसैर देलैथ,
किछ एहेन लोग सभ, दूल्हा कs बिकाऊ बना देलैथ,

दहेज़ ले कs अपना-आप में बड़का ओ कहाबैत छैथ,
खुद के घर के खुद ओ अपने हाथे जराबैत छैथ,

एक भिखमंगा आर हुनका में फर्क की रैह गेल,
दहेजक लोभी सभ अपन हाथे अपन गला दबाबैत छैथ,

सम्बंध ह्रदय सँ बनैत छैक, पैसा दौलत सँ नै यो बाबू,
प्यास मिझाबू पैन पीब के, किनको खून सँ नै यो बाबू,

पहिने कतेको पाप केलो, ओकरा फेर सs दोहराबाई छी,
पापक प्रायश्चित के बदला, पाप कs आर बढाबैत छी,

अहाँकें मैया जानकी के वास्ता, दहेज़ लेब बंद करू,
ऐना नै मिथिला के बहिन-बेटी के दहेजक लेल तंग करू,
रचना:-
चंदना झा..

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