मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)

जीवन जिबाक अछी बहुत जरुरी
ठण्ड में बियर आधा, रम होय पुरी   

चाहलो जेकरा पेलो नहीं ओकरा 
शाधना "मोहन जी" क रहल अधूरी  

मोनक बात सच नै भ पैल
किस्मत के छल नहीं मंजूरी  

ह्रदय फटल देखलो हम नोर
कियो देखलैथ नै मज़बूरी          

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