शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011
रूबाइ
हमर करेज संगे खेलाईत रहलौं, इ कोन खेल अछि।
मिलन अहाँ सँ हमर खुजल आँखिक सपना भेल अछि।
जाडक रौद कहै छलौं हमरा, इ एखन धरि मोन अछि,
अनचिन्हार छी आब, अहाँ लग लोकक ठेलम-ठेल अछि।
1 टिप्पणी:
omg gyan hindi
28 दिसंबर 2022 को 11:27 am बजे
bahut hi acchi jankari
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bahut hi acchi jankari
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