शुक्रवार, 6 जनवरी 2012

दहेज़ मुक्त मिथिला

(साभार करुणा झा आवश्यक संशोधन सहित।)

दहेज़ मुक्त मिथिला

जागु मैथिल मिथिलावासी, बेटी के करू सम्मान!
भेदभाव नै बेटा-बेटी में, दुनू एक समान!
दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान!!

दहेजक लेनदेन व्यवहार बनल अछि,
विवाह तँ समाजमें ब्यापार बनल अछि।
बेटी के दहेज़ नै शिक्षा दियौ, तखने होयत असली कन्यादान!
दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान!!

बेटा जनमिते ख़ुशी के बहार अबैया...,
बेटी जनमिते घर में हाहाकार मचैया....।
गर्भे जुनि एकरो मारू, बेटियो अछि अपनहि संतान!
दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान!!

दहेजक कारणे कते बेटी-पुतहु जरैया,
जानी कतेको बेटी फांसी लगा मरैया,
घरक लक्ष्मी बोझ बनल अछि, बेटा बेचय में लोक बुझै छै शान!
दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान!!

सृष्टीके निर्माणक आधार थिकी ई नारी,
प्रेम, त्याग, सहनशीलता के पहचान थिकी ई नारी,
मिथिलाक बेटी केर सम्मान करू, बढाबू अपन मिथिला के शान!
दहेज़ मुक्त मिथिला के अभियान!!

गाम-गाम मिथिला में जेना रिद्धि-सिद्धि अपनहि बसली,
आइ बनल मिथिला छै ऊस्सर, रोजगार प्रवासी मैथिली,
उजड़ल उपवन फेर सजाबू, लाबू धरोहर में नव जान!
दहेज मुक्त मिथिला के अभियान!!

हरिः हरः-

रचना:-
करुना झा,

संशोधन सहित।
प्रवीन नारायण चौधरी


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें