--- गजल---
अनेरो बैसि बीताओल सगर रैन भोर धरी ,
काजर हमर बही गेल नोर बनि ठोर धरी |
मजरल महुआ आम गोटाएल यो iप्रयतम,
तितिर पपिहरा नाचि-नाचि थाकल मोर धरी |
बीतल मधुमाश गेना गुलाब सेहो मोलाएल,
आएल एहेन खरमाश सुखा गेल नोर धरी |
कखनो त बुझु आँहा हमर अंतर तिमिर कें ,
हमर काया जरै अछि क्रोधे सोर साँ पोर धरी |
अभिलाषा मोन केर ज्यो अखनो अहाँ पुरायब ,
आबी जाउ गाम कहत"रूबी"ओर साँ छोर धरी |
(रुबी झा )
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