बुधवार, 20 जून 2012

गजल
भरल जोवन में दुःख देलौं अपार सजाना
विरह जीनगी लगैय आब अन्हार सजना

छोड़ी हमरा पिया गेलौं परदेश जहिया सँ
फूटल तहिया सँ इ करम कपार सजना

सहि जाएत छि बैषाख जेठक गर्मी कहुना
सहल नै जइए जुवानी के गुमार सजना

अहींक वियोग में धेने छि विरहिन भेष यौ
निक लागैय नै हमरा शौख श्रृंगार सजना

चान देखैय चकोर दिल में उठेय हिलोर
टुक्रा टुक्रा भेल दिल हमर हजार सजना

मोन करैय माहुर खा छोइड दितौं दुनिया
मुदा मरहू नै दैय अहाँक पियार सजना

वर्ण-१७-
रचनाकार-प्रभात राय भट्ट

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें