शुक्रवार, 4 मई 2012

गजल

जहिया सँ अहाँ गेलौँ हमर कलमे नै चलै यै
मोनहि मोन सबटा रचना कुहरि क मरै यै

... लिखबा क अछि देखू बात बहुत रास हमरा
अहाँक बिरह में त'जरलाहा हाथो नै बढ़ै यै

जानि नै बुझि की भेल अछि किछ दिन सौं हमरा
मोन में त' ऐछ बहुते किएक नै शब्द फुरै यै

आबू शिघ्रहीं हमर मोनक अहिं छि त' रचना
रहए छी आगू अहाँ सबटा मोती सन जरै यै

रहब आँखी सोझ में सुझाई अछि जेना सबटा
जहिना महाकाव्य कवि पोथी छन में भरयै यै
 
सरल वर्णिक बहर वर्ण --18
रूबी झा  

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