Ads by: Mithila Vaani

बुधवार, 9 मई 2012

गजल

जुलुम ऐना करै छी कोना
अहाँ ऐना बिसरै छी कोना

ककर राखी करेज मांथ
धक् सौ क' बजरै छी कोना

बैरिन मुख क' देखि अहाँ
हाथे छाहेर करै छी कोना

हमर आत्मा छाउर बना
आनक संग धरै छी कोना

सात जन्म क' संग फुसिये
एके जन्म में छोरै छी कोना

कहलों जिबी अहिं ल' ''रूबी''
सौतिन पर मरै छी कोना

सरल वार्णिक बहर वर्ण --१०
(स्व्स्नेह रूबी झा )

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP