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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

videh aa okar dogla chatiya sabhak naamey khujal patra


हो अनचिन्हार तु जहिया पहिल बेर सोझा आबि चिन्हार हेबै तहिया तोरासँ एक गोट गप हम अवश्य पुछबऽ जे तु कनी हमरा गिनती सिखा दऽ। हौ तोरा अनुसारे हमरा सगर राति दीप जरय आ साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कथा गोष्ठिमे कोनो अन्तर नञि बूझना जाइत अछि। हो तोरेसँ कनी कर जोरि कऽ कहै छियऽ कनी अन्तर बताबऽ ने जे कोन सगर राति दीप जरय होयत वा कोना साहित्य अकादमीक कथा गोष्ठि। 
हौ हमरा तँ लागैत अछि जेना मैथिली साहित्यमे मात्र तुहि सभ ध्वाजाधारक छऽ। जँ तु सभ नञि रहितहक तँ मैथिली तँ रसातालमे चलि जायतै हौ मुदा कनी थमहऽ। तोरा लोकनि (गजेन्द्र ठाकुर, आशीष अनचिन्हार, उमेश मण्डल आ विदेहक क चटिया) केर कथनकेँ सच कोना मानि ली कारणे ँ ओहि कथा गोष्ठिमे जतेक लोक उपस्थित छला हुनका सभक कहब छनि जे ओ सगर राति दीप जरय छल नञि की साहित्य अकादमीक कथा गोष्ठि। आब तु ही कहऽ जे तोरा लोकनिक बातकेँ सच मानी वा महेन्द्र मलंगिया, विभुति आनन्द, रमानन्द झा रमण, अजीत आजाद, कमल मोहन चुन्नु, अरविन्द ठाकुर, ऋषि वशिष्ठ आदी केर बातकेँ सच मानी। 
तहियो जँ तु कहै छऽ तँ तोरा बातकेँ सच मानबा लेल किछु सबूतक आवश्यकता होयत। जँ तोरा सभक लग ओ सबूत छऽ जे साबित कऽ सकै जे दिल्लीमे भेल 76 म कथा रविन्द्र सगर राति दीप जरय केर आयोजन नञि छल। 

तोसर बात एहि बातक विरोध तोरा लोनि अगिला कथा गोष्ठि, ओहिसँ अगला आ ओहिसँ अगला कथा गोष्ठिमे कियक नञि केलहक। बौक भऽ चेन्नइ, दरभंगा आ घनश्यामपुर कथा गोष्ठिमे जगदीश प्रसाद मण्डल आ गजेन्द्र ठाकुर सभक चटिया चुपचाप कियक बैसल रहलै हौ। 
की तोरा लोकनिकेँ छोडि सभ फुसि बाजि रहल अछि। हौ तोरा बातपर विश्वास करी तँ कोना .....??????


भरिसक केकरो गनती नै अबैत हेतै। मुदा लोककेँ ई बुझबाक चाही जे साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी आ सगर राति कथा गोष्ठीमे अंतर होइत छै।

जे नै बुझबा लेल तैयार छथि तिनकाँसँ आग्रह जे ओ आयोजनक भार अपना माथापर लेथि आ ओइ ठामसँ गिनती सही क' लेथि। केकरो ऐमे आपत्ति नै छै।

जखन साहित्यकारे सभकेँ साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी आ सगर राति कथा गोष्ठीमे अंतर नै बुझा रहल छै तखन " अमित मिश्र, चोर रोशन झा," आदिकेँ ई अंतर बुझा क' कोनो लाभ नै।

ओना ई कहब बेजाए नै जे "सगर राति दीप जरए" केर संस्थापक स्व. प्रभाष कुमार चौधरीजी सेहो साहित्य अकादेमीक पाइसँ एकर आयोजन वर्जित केने हेता कारण ओ स्पष्ट रूपसँ एहन व्यवस्था देलखिन्ह जैमे लोक अपन व्यतिगत पाइ लगा क' ई आयोजन करए।

आग्रह जे उताहुल साहित्यकार (" अमित मिश्र, चोर रोशन झा,") आदि बेसी उताहुल नै होथि।

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