Ads by: Mithila Vaani

मंगलवार, 5 जून 2012

हम मनुख, मनुख छी


अहंकार इश्वर कए भोजन छैक
मनुख कए प्रविर्ती छैक
आ दानब कए पोषक छैक

इश्वर हम भय नहि सकै छी
दानब बनै कए तैयार नहि छी
मनुख बनै कए प्रयाश नहि करैत छी

हम मनुख, मनुख छी
मनुखता सँ खसलहुँ त दानव छी
ऊपर भएलहुँ त देबता छी

जगदानन्द झा 'मनु'  

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP