प्रकाश भाई जी आ जितमोहन भाई जी में बहुत घनिष्ट मित्रता छलैन ..
जितमोहन
 भाई जी गाँव में सोनार के काज करे छलाह हुनका लग जेभी ग्राहक आबे छलखिन सब
 के ओ ठइक लाई छलखिन खास कs महिला मंडली के बेशी एक दिन प्रकाश भाई जी के 
कनिया (लाजवंती भौजी ) अपन पायल ल के सेहो गेली जितमोहन भाई जी लग कहलखिन 
जे योउ बुआ कानी हमर पायल के साफ काय दिया जितमोहन भाई जी कहलखिन जे हा हा 
दिया ने जरुर लाजवंती भौजी पूछल खिन जे लेबय लाल कखन आयब हम जितमोहन भाई जी
 साँझ में भौजी साँझ में आबि काय ल गेली किछु दिन पहिरली ओकरा बाद ओ निक 
जनका करी भय गेली बहुत गोटा के देखलखिन सब कहेन जे इ तय अनुमुनियम के अच्छी
 ये कनिया इ बात प्रकाश भाई जी के पत्ता चलल ओ क्रोधित भय गेल आ ओहिठाम 
निश्चित केला जे हम जितमोहन जी सय बदला जरुर लेब पर कs की सके छैथ परम 
मित्र जे छथिन ..
इ प्रक्रिया बहुत दिन तक चलल कुछु दिन बाद प्रकाश भाई 
जी कहल खिन जितमोहन भाई जी सs मित्र आह के बेटा गलटुआ बहुत बदमास भय गेल आ 
पढाई पर सेहो नय ध्यान दय रहल अछि तय एकरा कतोउ हॉस्टल में दय दियो इ गप 
सुनी जितमोहन भाई जी के चेहरा पर प्रसंता देखे वाला छल ओ कहलखिन प्रकाश भाई
 जी सs मित्र आहु तय सहरे में रहे छि किया ने आह्पने संगे रखिये एकरा और जे
 खार्चा लगते से हम देब इ गप सुनी के प्रकाश भाई जी से मुस्कुरेला आ सोचला 
जे आब तय हमर पिलोग्राम बनल जा रहल अछि प्रकश भाई जी हा हा मित्र किया ने 
हम जरुर लय जायब आह एकरा कलिए तैयार के दियो आ गलटुआ मई सs सेहो पूछी लियो 
जितमोहन भाई जी कोनो बात नय छाई आह संगे जय लेल हम एकरा, एकरा की एकरा मयो 
के तैयार काय देब प्रकाश भाई जी किया योउ हुनको पधेबक अछि की जितमोहन भाई 
जी धुर कहां बात करे छि मित्र आब ओ पढाई वाली ने छैथ बिगरी गेल छैथ खैर जय 
दियो आह खली हमरा गलटुआ के पढ़ा दिया .. प्रात भेने गलटुआ तैयार भय के 
प्रकाश भाई जी संगे जय लेल उगुतायल छल सहर पहुच कs प्रकश भाई जी एक टा 
बन्दर खरीदला आ ओकरा खली सिखाब्थिन जे बन्दर कही जे "की छलोउ हो बाऊ की 
भेलोउ हो बाऊ " इ बात ओकरा करीबन 8 महिना तक सिखेलखिंन आ गलटुआ के एक टा 
निक विद्यालय में पढे लेल दय देलखिन 8 महिना बाद प्रकश भाई जी बन्दर के लय 
के गाव गेल आ बन्दर के जितमोहन भाई जी के घर में दय देलखिन आ कहल खिन जे 
जितमोहन भाई जी सय जे दोस्त आह के बेटा पढिते-2 बन्दर भय गेल जखन बन्दर सय 
किछु बात करथिन तय बन्दर कहे की छलोउ हो बाऊ की भेलोउ हो बाऊ इ सुनी 
जितमोहन भाई जी आ सोनपरी भोउ जी के हालत ख़राब भय गेल फेर पूछल खिन भाई 
दोस्त इ कोन भेल फेर प्रकश भाई जी सेम जवाब देलखिन जे गलटुआ पडिते-2 बन्दर 
भय गेल किछु देर बाद सोनपरी भौजी सेहो पूछल खिन जे प्रकश बोउअ एहनो कहु 
भेलेया जे इंसान सs बन्दर भय जेते तय पर प्रकश भाई जी जवाब देलखिन जे भौजी 
जखन चाँदी अनमुनियम भय सके छाय तय इंसान बन्दर किया ने , इ बात जितमोहन भाई
 जी के दिमाग में घुसलैन तखने ओ कहलखिन जे भाई हम बुझी गेलोउ आह सब ता 
पुरना बदला लेलोउ है हम लाजवती भौजी के पायल वापस का्य डेय छियें आह हमरा 
बेटा आ एक टा गप और जे आई के बाद हम एहन काज कहियो नय करब प्रकाश भाई जी 
मुस्कुरा का्य कहलखिन भाई बहुत निक बात जे आह के आखि खुली गेल ...
"की छलोउ हो बाऊ की भेलोउ हो बाऊ " "की छलोउ हो बाऊ की भेलोउ हो बाऊ " "की छलोउ हो बाऊ की भेलोउ हो बाऊ "
चन्दन झा "राधे"
 
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें