रविवार, 23 दिसंबर 2012
शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012
मैथिली साहित्य
मैथिली साहित्यमे पुरस्कार लेल भऽ रहल राजनिती कोनो नव नञि अछि। ओना एहि तरहक गुलैसी कोनो मैथिली साहित्यमे नञि अपितु सभ भाषामे भऽ रहल अछि। हम एहि ठाम कोनो आन भाषाक चर्च नञि करब। चुकि हम एक गोट मैथिल छी एहि लेल मैथिली साहित्यमे पसरल गुलैसीपर चर्चा करब। ओना मैथिली साहित्यक जगतसँ बेसी परिचित नञि छी मुदा एतेक कम समयमे जे देखऽ सुनऽ लेल भेटल से अपने सभक समक्ष राखि रहल छी। पछिला किछु बरखमे एहि पुरस्कारपर काफी हो हल्ला मचाओल गेल। एखन धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल हुनका सन्दर्भमे कहल गेल जे ब्राहमण हेबाक कारणेँ भेटल अछि। किछु विशेष व्यक्तिक सेवा टहल बजेबाक कारणेँ भेटल अछि। चाहे ओ डा. रामदेव झा होथु वा उदय चन्द्र झा बिनोद। सभकेँ एके तराजूमे जोखल गेल। ओना एहि बीचमे जखन कोनो वामपन्थी वा कामयूनिस्टकेँ ई पुरस्कार भेटल तँ हुनका योग्यवान प्रमाणित कएल गेल। ई तँ ओहि कहावतकेँ चरितार्थ करैत अछि जे आइ कल्हिक नवतुरिया कहैत अछि ‘कृष्ण करएतँ रासलीला, हम करीतँ कैरेक्टर ढ़ीला’। की एकरा दोगला निती नञि कहल जेबाक चाही। एहिमे कोनो दू राय नञि अछि जे आइ धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल ओ अपना आपमे मैथिली साहित्यक विद्ववान छथि। एहि तरहक आरोप लगौनिहार एहि बेर बड़ खुश भेल हेता। हुनका लोकनिक कहब छनि जे एहि बेर बाभन सभक दालि नञि गलल।
आब ध्यान देबऽ योग्य प्रश्न अछि जे कि एहि बेरका पुरस्कारमे कोनो तरहक राजनिती भेल वा नञि? एहिमे कोनो शक नञि अछि जे शेफालिका वर्मा, महेन्द्र ना. राम आ अरूणाभ सौरभ नीक लेखक छथि। मुदा प्रश्न उठैत अछि जे कि एहिसँ नीक पोथी मैथिली साहित्यमे उपल्बध नञि छल?
ओना आइ काल्हि देखल जा रहल अछि जे जँ अहाँ मैथिली साहित्यमे अपन स्थान बनाबऽ चाहैत छी तँ कामयूनिस्ट बनु, पैघ साहित्यकार सभकेँ गारि पढ़ू। एहि बेरक पुरस्कार सेहो कतेको प्रश्नकेँ जन्म दैत अछि मुदा एहि बेर कोनो सवाल नञि पुछल जाएत। एहि बेरका पुरस्कार विजेताकेँ गारि नञि पढ़ल जाएत। चलु जे हो एखन तँ विजेता लोकनिकेँ बधाइ देबाक अवसर अछि। एहिना ओ सभ दिन प्रतिदिन मैथिलीक सेवा करथि रहथि।
FARMHOUSE CHICKEN EFFECT-ALL WHITE, BRAHMIN AND IMPOTENT -SAHITYA AKADEMI ANNOUNCES YUVA AWARD IN MAITHILI (REPORT GAJENDRA THAKUR)
१
साहित्य अकादेमी द्वारा युवा पुरस्कारक भेल घोषणा। हिन्दीमे लिखैबला द्वारा मैथिलीमे मात्र पुरस्कार लेल लिखल जेबाक प्रवृत्ति, जे सुखाएल मुख्यधारामे पहिनेसँ रहल अछि, आ तकरा (नव) ब्राह्मणवादक अन्तर्गत पुरस्कृत कएल जेबाक प्रवृत्ति ओइमे सेहो रहल अछि, आब तकर प्रसार ओ अपन जातिवादी युवा मध्य केलक अछि । चेतना समिति आदि संस्था (नव) ब्राह्मणवादी कट्टरताकेँ ब्राह्मण युवा वर्ग मध्य पसारैत रहबाक चेष्टा करैत रहैत अछि। पोथीक क्वालिटीक स्थानपर चमचागिरी, लेखकीय दायित्वक स्थानपर जातिवादी कट्टरता चलिते रहत? स्टेटस कोइस्ट युवाकेँ, वैज्ञानिक (नव) ब्राह्मणवादी युवा जे अहाँक जातिवादी विचारधाराकेँ चैलेन्ज केनाइ तँ दूर, ओइमे सहयोग करए, की ऐ तरहक तत्वकेँ बढ़ावा दऽ अहाँ मैथिली साहित्यक पुनर्जागरण बाधक तत्व नै बनि रहल छी।
"निश्तुकी" कविता संग्रहकेँ पुरस्कार नै भेटए ओइ लेल महेन्द्र झाकेँ सहरसा" सँ, देवेन्द्र झाकेँ मधुबनी (संप्रति मुजफ्फरपुर)सँ आ योगानन्द झाकेँ बदनाम कबिलपुर गैंगसँ बजाओल गेल आ ई भार देल गेल। आ ओ सभ चुनलन्हि अरुणाभ "झा" सौरभ केँ। सायास "निश्तुकी" कविता संग्रह साहित्य अकादेमी द्वारा नै मंगाओल गेल, जे एकटा इलीगल काज अछि। हरबर-दरबरमे निर्णय कएल गेल, आब जएह पोथी आबि सकल ओही मध्यसँ ने निर्णय हएत, से तर्क देल गेल। पूर्ण रूपसँ फार्म हाउस चिकेन (उज्जर, ब्राह्मण आ नपुंसक) मैथिल ब्राह्मण जूरी चुनल गेल जे कोनो रिस्क नै रहए।
ऐ इलीगल काजकेँ हर स्तरपर चुनौती देल जाएत।
मूल पुरस्कार लेल शेफालिका वर्माकेँ चुनल गेल छन्हि आ अनुवाद पुरस्कार लेल महेन्द्र नारायण रामकेँ- दुनू गोटेकेँ बधाइ। संगमे नचिकेताक "नो एण्ट्री: मा प्रविश", सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क विरुद्ध "निश्तुकी" विरोधी तत्व जे तीन सालसँ जान प्राण लगेने अछि जे ऐ पोथी सभकेँ मूल पुरस्कार नै भेटैक, से घोर निन्दनीय अछि। "नो एण्ट्री: मा प्रविश" २००८ मे प्रकाशित रहै आ ई किताब अगिला सालसँ पुरस्कारक रेसमे नै रहत, ऐ पोथीकेँ मूल साहित्य अकादेमी नै भेटि सकत। मुदा की एकर स्थान मैथिलीक पहिल आ एखन धरिक एकमात्र पोस्टमॉडर्न ड्रामाक रूपमे बरकार नै रहत, की ब्राह्मणवादी विचारधारा ई स्थान ऐ पोथीसँ छीनि सकत? सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी" अगिला साल सेहो रेसमे रहत। मुदा तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राम किए (नव वैज्ञानिक) ब्राह्मणवाद द्वारा स्वीकृत छथि आ सुभाष चन्द्र यादव आ मेघन प्रसाद अस्वीकृत ओइ आलोकमे सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क विरुद्ध रामदेव झा- योगानन्द झा- महेन्द्र मलंगिया-मोहन भारद्वाज-मायानन्द मिश्र आदिक षडयंत्र सफल भैयो जँ जाए तँ की सुभाष चन्द्र यादवक मैथिली पाठकक हृदए मे जे स्थान छै, से की कम कऽ सकत ई षडयंत्रकारी सभ? जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क स्थान मैथिलीक आइ धरिक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रहक रूपमे बनि गेल अछि, की ओ स्थान कियो दोसर छीनि सकत?
पढ़ू निश्तुकी आ चमेटा मारू महेन्द्र झा, देवेन्द्र झा आ योगानन्द झाकेँ -
निश्तुकी
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
२
विदेहक सम्बन्धमे धीरेन्द्र प्रेमर्षिकेँ एकटा फकड़ा मोन पड़ल छलन्हि- "खस्सी-बकरी एक्कहि धोकरी"। राजा सलहेसक गाथामे जतऽ सलहेस राजा रहै छथि चूहड़मल चोर भऽ जाइ छथि आ जतऽ चूहड़मल राजा रहै छथि सलहेस चोर भऽ जाइ छथि। साहित्यक ब्राह्मणवाद जातिक आधारपर समीक्षा करैए, समानान्तर परम्पराक उदारवाद कट्टरता विरोधी अछि। समानान्तर परम्परा मिथिला आ मैथिलीक उदार परम्पराकेँ रेखांकित करैए तँ ब्राह्मणवादी समीक्षाकेँ मिथिलाक कट्टर तत्व प्रभावित करै छै। समानान्तर परम्पराक घोड़ा ब्राह्मणवादी समीक्षामे गधा बनि जाइए, आ ब्राह्मणवादी साहित्यमे तँ गधा छैहे नै, सभ घोड़ाक खोल ओढ़ने छै। आ सएह कारण रहल जे मैथिलीक सुखाएल मुख्य धाराक साहित्य दब अछि। आ सएह कारण रहल जे अतुकान्त कविता हुअए बा तुकान्त, बहरयुक्त गजल हुअए बा आजाद गजल; रोला, दोहा,कुण्डलिया, रुबाइ, कसीदा, नात, हजल, हाइकू, हैबून बा टनका-वाका सभ ठाम समानान्तर परम्परा कतऽ सँ कतऽ बढ़ि गेल; नाटक-उपन्यास-समीक्षा, विहनि-लघु-दीर्घ कथा सभ क्षेत्रमे अद्भुत साहित्य मैथिलीक समानान्तर परम्परामे लिखल गेल मुदा ब्राह्मणवादी सुखाएल मुख्यधारा आ जातिवादी रंगमंच छल-प्रपंच आ सरकारी संस्थापर नियंत्रणक अछैत मरनासन्न अछि।
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
सदस्यता लें
संदेश (Atom)