Ads by: Mithila Vaani

शुक्रवार, 24 मई 2013

आदरनीय सुकान्त सोमजी... मिथिला दर्शनक अंकमे ‘लुटि सकय सो लुटि’ वला लेख पढ़लौ। पढ़बाक क्रममे किछु बात सोचक लेल विवश भऽ गेल रही जे आइ अपनेक समक्ष राखि रहल छी। अपने एहि लेखमे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करबा लेल भऽ रहल राजनीतिपर लिखलौ अछि, मुदा एहि बातक उल्लेख नञि केलौ जे हिन्दीक वरिष्ठ साहित्यकार हेबाक बाद नार्गाजुनकेँ मैथिलीमे साहित्य अकादमी पुरस्कार कोनो भेटल? मैथिलीके ँ बारि देनिहार साहित्यकार फेरो मैथिलीमे कियक लिखलनि। की मात्र पुरस्कार प्राप्त करबा लेल। हमरा तँ जेना बुझाइत अछि जे पोथी लिखबाक पहिनेसँ ओ आश्वसथ छला जे हुनका पुरस्कार अवश्य भेटतनि। जे भेटबो केलनि। की ओहि समय ई पुरस्कार मात्र किछु खास लोकक कारणे ँ हुनका नञि भेटल छलनि??? एहिमे कोनो सन्देहक बात नञि जे यात्रीजी मैथिली भाषाक विकास लेल बड़ किछु केलनि, मुदा प्रश्न उठैत अछि जे नागार्जुन मैथिली लेल की केलनि। जखन हुनका हिन्दी सनक अथाह समुद्र वला साहित्य जगतमे थाह नञि भेटलनि तँ आबि गेला मैथिली साहित्यमे डूबकुनिञा काटऽ लेल। हिन्दीमे प्रसिद्धि हेबाक आ हुनक कद बड़ बेसी रहबाक कारणे ँ हुनक सम्मान ओहि समयक प्रत्येक मैथिली साहित्याकर लोकनि करै छला। कतौ ने कतौ ईहो एक गोट कारण छल जे हुनका ई पुरस्कार देल गेलनि। नञि तँ जे आदमी आई धरि मैथिलीक तुलनामे हिन्दीक बेसी सेवा केने होथु, हुनका साहित्य अकादमीक पुरस्कार आसानीसँ मैथिलीमे भेट जाइत छनि। अहांक कड़ूगर सच भने वामपन्थी सभकेँ नीक लागल होनि, मुदा सच की अछि वा झुठ की ई सभ जानैत छथि। जनता आब एतेक बुरबक नञि छथि। अंहाक पदवी भेट गेल आ अंहाक किछु केलौ से बड़ नीक आन क्यौ करय तँ कष्ट भऽ रहल अछि। से कियक???? कनी एहि बातक जवाब देबाक कष्ठ करी। राजनीति ओहो दिन भेल छल आ राजनीति आइयो भऽ रहल अछि। अहांक लेख पढ़बाक बाद एक गोट बात मोन पड़ि रहल अछि ‘कृष्ठ करथि तँ रासलीला, हम करी तँ कैरेक्टर ढ़ीला’। वाह यौ सुकान्त जी बढ़िया पत्रकारिता कऽ रहल छी। आब तँ एहि तरहक नाटक बन्न करू। रोशन कुमार ‘मैथिल’


  आदरनीय सुकान्त सोमजी...

 मिथिला दर्शनक अंकमे ‘लुटि सकय सो लुटि’ वला लेख पढ़लौ। पढ़बाक क्रममे किछु बात सोचक लेल विवश भऽ गेल रही जे आइ अपनेक समक्ष राखि रहल छी। अपने एहि लेखमे साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त करबा लेल भऽ रहल राजनीतिपर लिखलौ अछि, मुदा एहि बातक उल्लेख नञि केलौ जे हिन्दीक वरिष्ठ साहित्यकार हेबाक बाद नार्गाजुनकेँ मैथिलीमे साहित्य अकादमी पुरस्कार कोनो भेटल? मैथिलीके ँ  बारि देनिहार साहित्यकार फेरो मैथिलीमे कियक लिखलनि। की मात्र पुरस्कार प्राप्त करबा लेल। हमरा तँ जेना बुझाइत अछि जे पोथी लिखबाक पहिनेसँ ओ आश्वसथ छला जे हुनका पुरस्कार अवश्य भेटतनि। जे भेटबो केलनि। की ओहि समय ई पुरस्कार मात्र किछु खास लोकक कारणे ँ हुनका नञि भेटल छलनि???  एहिमे कोनो सन्देहक बात नञि जे यात्रीजी मैथिली भाषाक विकास लेल बड़ किछु केलनि, मुदा प्रश्न उठैत अछि जे नागार्जुन मैथिली लेल की केलनि। जखन हुनका हिन्दी सनक अथाह समुद्र वला साहित्य जगतमे थाह नञि भेटलनि तँ आबि गेला मैथिली साहित्यमे डूबकुनिञा काटऽ लेल। हिन्दीमे प्रसिद्धि हेबाक आ हुनक कद बड़ बेसी रहबाक कारणे ँ हुनक सम्मान ओहि समयक प्रत्येक मैथिली साहित्याकर लोकनि करै छला। कतौ ने कतौ ईहो एक गोट कारण छल जे हुनका ई पुरस्कार देल गेलनि। नञि तँ जे आदमी आई धरि मैथिलीक तुलनामे हिन्दीक बेसी सेवा केने होथु, हुनका साहित्य अकादमीक पुरस्कार आसानीसँ मैथिलीमे भेट जाइत छनि।
अहांक कड़ूगर सच भने वामपन्थी सभकेँ नीक लागल होनि, मुदा सच की अछि वा झुठ की ई सभ जानैत छथि। जनता आब एतेक बुरबक नञि छथि। अंहाक पदवी भेट गेल आ अंहाक किछु केलौ से बड़ नीक आन क्यौ करय तँ कष्ट भऽ रहल अछि। से कियक???? कनी एहि बातक जवाब देबाक कष्ठ करी। राजनीति ओहो दिन भेल छल आ राजनीति आइयो भऽ रहल अछि। अहांक लेख पढ़बाक बाद एक गोट बात मोन पड़ि रहल अछि ‘कृष्ठ करथि तँ रासलीला, हम करी तँ कैरेक्टर ढ़ीला’। वाह यौ सुकान्त जी बढ़िया पत्रकारिता कऽ रहल छी। आब तँ एहि तरहक नाटक बन्न करू।

रोशन कुमार ‘मैथिल’

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP