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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

रुबाइ



कर्जा कए कऽ हम जीवन जीव रहल छी
फाटल अपनकेँ कहुना सीब रहल छी
सभ किछु गवा कए ‘मनु’अपन जीवनकेँ
निर्लज भए हम ताड़ी पीब रहल छी   

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रविवार, 15 जुलाई 2012

रूबाइ


जागल आँखि केर सपना बनल जिनगी
कुहरल आश केर झपना बनल जिनगी
फाटल छल करेज हम सीबैत रहलौँ
रूसल सुखक आब नपना बनल जिनगी

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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

रूबाइ


कोना कऽ रंगलक करेज केँ इ रंगरेज, रंग छूटै नै।
नैन पियासल छोडि गेल, मुदा आस मिलनक टूटै नै।
हमरा छोडि तडपैत पिया अपने जा बसला मोरंग,
बूझथि विरहक नै मोल, भाग्य इ ककरो एना फूटै नै।

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