गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
सोचलो नै हम निक-बेजैई, देखलो सुनलो किछो नै /
मंगलो भगवान स हर   समय, आहा सिवा किछो नै // 
देखलो,चाहलो अहिके,   सोचलो अहिके पुजलो अहिके /
"मोहन जी"   के वफ़ा खता, आहाक खता किछोबो नै //        
हुनका पर हमर आँख त,   मोती बिछेलक दिन-रैत भैर /
भेजलो ओहे कागज   हुनका, हम त लिखलो किछोबो नै //
एक साँझ के देहलीज़   पर,बैसल छलैथ ओ देर राती तक /
आँईख स केलैथ बात   बहुत, मुह स कहलैथ किछ्बो नै //        
पांच-दस दिन के बात   या,दिल ख़ाक में मिल जायत / 
आईग पर जखन कागज   राखब, बाकी बचत किछ्बो नै //  
रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)
 
 
 
 
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