शराबी नैन स पिया दैतो..
 भोरे-भोरे उठी क शराब पीनाय कैलो हँन चालु
           प्रभाकर जी आहा कहु जे इ पैग में कते पैन डालु
          
           आहा ठंडा पैन स अपन आँखी धो क लाली त हटाबु
           फ्रिज में स नबका बैगपेपर (दारू) के बोतल त पकराबु
          
           रोज राति क सपना में हम ठेका पर जय छी
           सबटा खेत और घरारी भरना लगा दैत छी
          
           खेत और घरारी कखनो हम भरना नहीं लगैतो
           आहा जे एक बेर अपन शराबी नैन स पिया दैतो
          
           मानलो हम आहा के बहुत दूख-दर्द देलो
           मुदा आहु त हमरा स पूरा प्रेम नहीं केलो
          
           मानलो की आहा सुंदर-सुशिल हमर कनिया भेलो
           मुदा आहा स ज्यदा हम दारू स प्रेम केलो
          
           आब नहीं सताबु आबी जाऊ अपन घरे में रहब
           भले दारू छोरी , दोस्त छोरी आहा के मारी सहब
रचनाकार :- अजय ठाकुर (मोहन जी)
 
 
 
 
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