गजल@प्रभात राय भट्ट
             गजल 
कतय भेटत एहन प्रेम जे मीत अहाँ देलौं
मित्रताक कर्मपथ पर मोन जीत अहाँ  लेलौंधन्य सौभाग्य हमर मोन मीत बनी अहाँ एलौं
स्वार्थक मेला में भोगलौं हम वर वर झमेला 
हर झमेला में बनिक सहारा मीत  अहाँ एलौं मजधार डूबैत हमर जीवनक जीर्ण नाव
नावक पतवार बनी मलाह मीत अहाँ एलौं  निस्वार्थ भाव अहाँ मित्रताक नाता जोड़ी लेलहुं 
हर नाता गोटा सं बड़का रिश्ता मीत अहाँ देलौं नीरसल जिन्गीक हर क्षण भेल छल उदास 
उदास जिन्गीक ठोर पर गीत मीत अहाँ  देलौं संगीतक ध्वनी सन निक लगैय मीतक प्रीत 
कृष्ण सुदामाक प्रतिक बनी मीत अहाँ  एलौं ...............वर्ण:-१८.....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट
 
 
 
 
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