.... गजल ...
हुनक नाम लिखि-लिखि मेटेनाई बिसैर गेलहूँ
हुनका याइद क' क' बिसरनाई बिसैर गेलहूँ
बहुत रास गप त' अछि करेजे गरल हमरा
जखन भेलैन ओ सोझा सूनेनाई बिसैर गेलहूँ
हुनका बाद त' एक छण कटै अछि असमंजस
स्वप्न में रातिओ हुनका बतेनाई बिसैर गेलहूँ
साँझ में प्रतिदिन सोचेई छि बिसरायेब हुनका
मुदा भेल भिनसर बिसरनाई बिसैर गेलहूँ
आएँख में ओना त' अखनो सागर छूपेने छि हम
हुनका लग एको बुन खसेनाई बिसैर गेलहूँ
सरल वार्णिक बहर--वर्ण -१९
[ रूबी झा ]
हुनक नाम लिखि-लिखि मेटेनाई बिसैर गेलहूँ
हुनका याइद क' क' बिसरनाई बिसैर गेलहूँ
बहुत रास गप त' अछि करेजे गरल हमरा
जखन भेलैन ओ सोझा सूनेनाई बिसैर गेलहूँ
हुनका बाद त' एक छण कटै अछि असमंजस
स्वप्न में रातिओ हुनका बतेनाई बिसैर गेलहूँ
साँझ में प्रतिदिन सोचेई छि बिसरायेब हुनका
मुदा भेल भिनसर बिसरनाई बिसैर गेलहूँ
आएँख में ओना त' अखनो सागर छूपेने छि हम
हुनका लग एको बुन खसेनाई बिसैर गेलहूँ
सरल वार्णिक बहर--वर्ण -१९
[ रूबी झा ]
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