--गजल--
ईहे हमर प्रेमक सजा राखने छी त' कोनो बात नै
आई हमरा ज्यो ई व्यथा अहाँ देने छी त कोनो बात नै
ईहो कम छैक अहाँ देखैत छी ओत कात सँ अखनो
जँ आई हमरा मजधारे डूबेने छी त कोनो बात नै
छलौ हम राखने करेजाक अंतिम तह में नुका क
आई ओ अन्तःपूर अहाँ छोरि देने छी त कोनो बात नै
अहीं निर्मल शीशा एहन हमर आत्मा बनोने छलौं
ओ शीशा अहाँ अपने सँ तोरि देने छी त कोनो बात नै
छैक ककर मजाल कहत रुबी क' अपन दीवानी
मुदा जँ ई गप अहाँ कतौ बजने छी त कोनो बात नै
वर्ण- २०
-- रुबी झा--
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