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मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

"सोहर"

अयोध्या नगर बड़ पावन, ओतय बसथु राजा दशरथ रे,
ललना रे, हुनकर पुत्र भगवान अयाध्या मे जनम लेल रे...।

राजा दशरथ कयलनि यज्ञ, अग्निदेव खीर लय प्रगटल रे,
ललना रे, सेहो खीर खयलनि तिनू रानी, कि तीनू गर्भ सँ रे ...।

पहिने जे जनमल राम, तखन बौआ भरत भेल रे,
ललना रे, तखन लखन, शत्रुघ्न, महल उठल सोहर रे...।

जखन राम बरख भेल पाँच, मुनि संग चलि भेल रे,
ललना रे, मारल राक्षसी तारिका, जगत्रय बचाओल रे....।

जखन राम बरख भेल बारह, चलला जनकपुर रे ,
ललना रे, पयर लागल पाथर , अहिल्या के तारल रे....।

राम गेलाह जनकपुर, संग बौआ लक्षमण रे,
ललना रे, तोरलनि धनुष महान, सियावर कहाओल रे...।

जखन राम बरख भेल चौदह, कैकेयी वर माँगल रे,
ललना रे, चौदह बरखक बनवास, राम के पठाओल रे...।

राम गेलाह बनवास संगहि सिया, लक्षमण रे,
ललना रे, दशरथ मू्र्छित भेल, कुशल रानी कैकेयी रे...।

कौशल्या डुबलि घोर सोक,कि सुमित्रा अचेत भलि रे.,
ललना रे, कत्तहु जिबथि श्रीराम कि हमरे कहौता रे॥।

रचना:- रूबी झा

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