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मंगलवार, 10 अप्रैल 2012

--- गजल---


अनेरो बैसि बीताओल सगर रैन भोर धरी ,
काजर हमर बही गेल नोर बनि ठोर धरी |

मजरल महुआ आम गोटाएल यो iप्रयतम,
तितिर पपिहरा नाचि-नाचि थाकल मोर धरी |

बीतल मधुमाश गेना गुलाब सेहो मोलाएल,
आएल एहेन खरमाश सुखा गेल नोर धरी |

कखनो त बुझु आँहा हमर अंतर तिमिर कें ,
हमर काया जरै अछि क्रोधे सोर साँ पोर धरी |

अभिलाषा मोन केर ज्यो अखनो अहाँ पुरायब ,
आबी जाउ गाम कहत"रूबी"ओर साँ छोर धरी |

(रुबी झा )

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