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सोमवार, 31 दिसंबर 2012

मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री – करुणा झा


मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री  – करुणा झा

मिथिला कऽ संस्कृति जौ नई रहत तऽ नेपालक पहचान नई रहत, 
मिथला सँ मात्र अहि देश के पहचान अछि । आ विद्यापति पुरे राष्ट्रकारी छथि, एहन कहब अछि गृहमन्त्री आ उपप्रधानमन्त्रीको विजय गच्छेदार अपन प्रमुख अतिथी के आसन बाजैत विराटनगर में विद्यापति स्मृति पर्व के अवसर पर कहलनि ।

    मैथिली सेवा समिति, के आयोजना में विराटनगर में (१३–१४) यानी २८–२९ दिसम्बर के विद्यापति सृमति पर्व पुरे धूमधाम आ हर्षौल्लास के संग सम्पन्न भेल अछि । मैथिली सेवा समिति के अध्यक्ष शंभू नाथ झा के अध्यक्षता तथा नेपालक गृह एवं उपप्रधानमन्त्री विजय गच्छेदार के प्रमुख आतिथ्य मे पडोसी देश भारत के विभिन्न प्रान्तक के व्यक्तित्व लोकनि उपस्थित छल । फारविसगंज के सांसद सुखदेव पासवान अररिया के विधायक तथा पटना के मैथिली आकादमी के व्यक्ति लोकनि सब मिथिला राज्य दुनु देश में अपरिहार्य रहल बतौलनि । अई समारोह में मिथिला के कला संस्कृति सँ संबन्धित प्रदर्शनी सेहो लगायल गेल छल । मशहुर मिथिला चित्रकार एस.सी. सुमनद्वारा एकल मिथिला चित्रकला प्रदर्शनी लगाल छल । मैथिली साहित्य के पुस्तक सब सेहो छल ।

    कार्यक्रम क शुरुआत मिथिला के अहिबात पातिल में दीप जरा क प्रमुख अतिथी उद्घाटन केलनि आ मिथिलाञ्चल के मशहुर गायक विरेन्द्र झा, संजय यादव आ अनु चौधरी विद्यापति रचित गोसाउनी गीत सँ शुभारंभ केलनि ।

    अहि अवसर पर मैथिली सेवा समिति तथा दहेज मुक्त मथिला के तरफ सँ किछु विशिष्ट व्यक्ति सबके सम्मान सेहो कएल गेल । दहेज मुक्त मिथिला के दिस सँ विना दहेज के विआह केनिहार दु टा मैथिल वर के मिहर  झा आ चन्दन झा जी के सम्मान पत्र आ उपहार देल गेलनि । उद्घाटन सत्र में पटना के देवेन्द्र झा, राँची के सियराम “सरस” आ राजविराज सँ अमरकान्त झा, करुणा झा लोकनि अपन अपन मन्तव्य व्यक्त केने रहथि । सम्पूर्ण कार्यक्रम के संचालन मैथिली सेवा समिति के महासचिव प्रवीण नारायण चौधरी केलनि ।


 

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MAITHILI SEED STORIES- मैथिली विहनि कथा संग्रह

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शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

मिथिलाक गामघर: मिथिलाक पाग आ मखानक माला पहिरने पूर्व राष्ट्रपति आ...

मिथिलाक गामघर: मिथिलाक पाग आ मखानक माला पहिरने पूर्व राष्ट्रपति आ...

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बुधवार, 26 दिसंबर 2012

MODERN MAITHILI DRAMA- संकर्षण, मिथिलाक बेटी, पंचवटी, कम्प्रोमाइज, झमेलिया बिआह, नो एण्ट्री: मा प्रविश, रिहर्सल, भाग रौ आ बलचन्दा, बेटीक अपमान आ छीनरदेवी

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अन्तर्राष्ट्रीय मथिली के द दिना सम्मेलन सम्पन्न( करुणा झा)


अन्तर्राष्ट्रीय मथिली के द दिना सम्मेलन सम्पन्न
करुणा झा

 
   मैथिली भाषा संस्कृति के विकास आ मिथिला राज्य के मांग सहित विगत किछु बर्ष सँ आन्दोलन में रहल अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद् के २६म् अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन मधेपुरा –बिहार) में २२–२३ दिसम्बर के सम्पन्न भेल अछि । २२ ता. (६ गते शनिदिन) शुरु भेल सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के प्रमुख अतिथी परिषद के संस्थापक संरक्षक डा. भूवनेश्वर गुरमैता छलथि आ विशिष्ट अतिथी में मधेपुरा डिग्री काँलेज के प्रिन्सिपल । डायरेक्टर डा. अशोक कुमार, संस्थपक अध्यक्ष डा. धनाकर ठाकुर आ अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद नेपालक अध्यक्ष करुणा झा छलथि । सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के सम्बोधन करैत डा. धनाकर ठाकुर, मिथिला राज्य के लेल हमर संघर्ष जारी अछि बतौलनि । एक नई एक दिन हमर आन्दोलन निश्चित सफल होयत विश्वास व्यक्त केलनि । मिथिला के सभ्यता, संस्कृति के अपन गौरवशाली इतिहास रहल अछि आ एकटा नजरअंदाज नइ कायल जा सकैत अछि । तहिना नेपालक अध्यक्ष करुणा झा अपन मन्तव्य में यूवा पीढी, महिला के सशक्त सहभागिता भनाई आजुक आवश्यकता अछि कहलनि । मिथिला के स्वर्णिम इतिहास आजुक यूवा पीढि अवगत नई अछि आ हमर सब के दायित्व अछि जे आब घर घर सँ महिला सब के सेहो अई अभियान में जोडल जा पर जोर हेबाक चाहि । महिला समाज के उत्थान बिना कोनो भी समाज क उत्थान संभव नहि अछि । तहिना उदयशंकर मिश्र, प्रभात झा, किसलय कृष्णा सब सेहो अपन अपन विचार व्यक्त केलनि । परिषदक अध्यक्ष डा. कमलकान्त झा के अध्यक्षता में, स्वागत गीत काजल झा कार्यक्रम सम्पनन भेल ।


    दोसर सत्र में मिथिला राज्य पर विचार गोष्ठी के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम भेल । दोसर दिन “कोशीक बान्ह–बिहार आ नेपाल” विषय पर अन्तरक्रिया कायल गेल । आ कार्यक्रमक समापन भेल ।

Karuna Jha
rajbiraj, Saptari (Nepal)

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मंगलवार, 25 दिसंबर 2012

मिथिला चालीस


मिथिला चालीस

दोहा

अति आबस्यक जानी के शुनियो मिथिला के वास ।
बेद पुराण सब बिधि मिलल लिखल भोला लाल दास ।।


पंडित मुर्ख अज्ञानी से मिथिला के ई राज ।

पाहुनं बन आएला प्रभु जिनकर चर्चा आजू 


चोपाई
जय - जय मैथिल सब गुन से सागर
कर्म बिधान सब गुन छैन आगर









जनक नन्दनी गाम कहाबैन
दूर - दूर से कई जन आबैन








देखीं क सीता राम के स्वम्बर
भेला प्रसन्य लगलैन अतिसब सुन्दर










पुलकित झा पंचांग से सिखलो
बिघन - बाधा से अति शिग्रः निपट्लो









मंत्र उचार केलो सब दिन भोरे
ग्रह - गोचर से भेलोहूँ छुट्कोरे









विद्यापति जी के मान बढ़ेलन
बनी उगाना महादेव जी ऐलन









जय - जय भैरवी गीत सुनाबी
सब संकट अपन दूर पराबी






लक्ष्मीस्वर सिंह राजा बन ऐला
पुनह मिथिला क स्वर्ग बनेला








भूखे गरीब रहल सब चंगा
सब के लेल ऐला राज दरिभंगा









बन योगी शंकरा चार्य कहोलैथ
अनेको शिव मंठ निर्माण करोलैथ








धर्म चराचर रहल सत धीरा
जय - जय करैत आयल संत फकीरा








जन्म लेलैन लक्ष्मीनाथ सहरसा
जिनकर दया से भेल अति सुख वर्षा









साधू संत के भेष अपनोलैन
फेर गोस्वामी लक्ष्मीनाथ कहोलैन








मंडन मिश्र क शास्त्राथ कहानी
हिनकर घर सुगा बजल अमृत बाणी









पत्त्नी धर्म निभेलैन विदुषी
जिनकर महिमा गेलें तुलशी








आयाची मिसर क गरीबी कहानी
हिनकर महिमा सब केलैनी बखानी








साग खाई पेटक केलनी पालन
हिनकर घर जन्मल सरोस्वती के लालन








काली मुर्ख निज बात जब जानी
भेला प्रसन्य उचैट भवानी








ज्ञान प्राप्त काली दाश कहोलैथ








फेर मिथिला शिक्षा दानी बनलैथ








गन्नू झा के कृत्य जब जानी
हँसैत रहैत छैथ सब नर प्राणी









केहन छलैथ ई नर पुरूषा
कोना देलखिन दुर्गा जी के धोखा







खट्टर काका के ईहा सम्बानी
खाऊ चुरा - दही होऊ अंतर यामी









मिथिला के भोजन जे नाही करता
तिनों लोक में जगह नै पाउता








सोराठ सभा क महिमा न्यारी
गेलैन सब राजा और नर - नारी








जनलैथ सब के गोत्र - मूल बिधान
फेर करैत सब अपन कन्या दान









अमेरिका लंदन सब घर में सिप्टिंग
घर - घर  देखल  मिथिला के पेंटिंग 








छैट परमेस्वरी के धयान धराबैथ








चोठी चन्द्र के हाथ उठाबैथ








जीतवाहन के कथा सुनाबैथ
फेर मिथिला पाबैन नाम बताबैथ







स्वर संगीत में उदित नारायण
मिथिला के ई बिदिती परायण








होयत जगत में हिनकर चर्चा
मनोरंजन के ई सुख सरिता









शिक्षा के जहन बात चलैया
मिथिला युनिभर्सिटी जग  नाम कहाया









कम्पूटिरिंग या टैपिंग रिपोटर
बजैत लिखैत मिथिलि  शुद्ध अक्षर








है मैथिल मिथिला के कृप्पा निधान
रखियो सब कियो संस्कृति के मान







जे सब दिन पाठ करत तन- मन सं
भगवती रक्षा करतेन तन- धन सं










हे मिथिला के पूर्वज स्वर्ग निवासी
लाज बचायब सब अही के आशी

दोहा

कमला कोषी पैर परे गंगा करैया जयकार

शत्रु से रखवाला करे सदा हिमालय पाहार

( माँ मैथिल की जय , मिथिला समाज की जय -----------)


समाप्प्त

लेखक --






मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४




जगदम्बा ठाकुर
पट्टीटोल , कोठिया , (भैरव स्थान)
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार -८४७४०४

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YOUNG TURKS- MAITHILI POETS मैथिलीक युवा तुर्कक पोथी- "हम पुछैत छी", "अनचिन्हार आखर", "निश्तुकी", "अर्चिस", "वर्णित रस", "मोनक बात", "नव अंशु"

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रविवार, 23 दिसंबर 2012

मैथिलीक समानान्तर साहित्य आ संस्कृति: एकटा उदार आन्दोलनी स्वरूप

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शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

मैथिली साहित्य


  मैथिली साहित्यमे पुरस्कार लेल भऽ रहल राजनिती कोनो नव नञि अछि। ओना एहि तरहक गुलैसी कोनो मैथिली साहित्यमे नञि अपितु सभ भाषामे भऽ रहल अछि। हम एहि ठाम कोनो आन भाषाक चर्च नञि करब। चुकि हम एक गोट मैथिल छी एहि लेल मैथिली साहित्यमे पसरल गुलैसीपर चर्चा करब। ओना मैथिली साहित्यक जगतसँ बेसी परिचित नञि छी मुदा एतेक कम समयमे जे देखऽ सुनऽ लेल भेटल से अपने सभक समक्ष राखि रहल छी। पछिला किछु बरखमे एहि पुरस्कारपर काफी हो हल्ला मचाओल गेल। एखन धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल हुनका सन्दर्भमे कहल गेल जे ब्राहमण हेबाक कारणेँ भेटल अछि। किछु विशेष व्यक्तिक सेवा टहल बजेबाक कारणेँ भेटल अछि। चाहे ओ डा. रामदेव झा होथु वा उदय चन्द्र झा बिनोद। सभकेँ एके तराजूमे जोखल गेल। ओना एहि बीचमे जखन कोनो वामपन्थी वा कामयूनिस्टकेँ ई पुरस्कार भेटल तँ हुनका योग्यवान प्रमाणित कएल गेल। ई तँ ओहि कहावतकेँ चरितार्थ करैत अछि जे आइ कल्हिक नवतुरिया कहैत अछि ‘कृष्ण करएतँ रासलीला, हम करीतँ कैरेक्टर ढ़ीला’। की एकरा दोगला निती नञि कहल जेबाक चाही। एहिमे कोनो दू राय नञि अछि जे आइ धरि जिनका किनको ई पुरस्कार भेटल ओ अपना आपमे मैथिली साहित्यक विद्ववान छथि। एहि तरहक आरोप लगौनिहार एहि बेर बड़ खुश भेल हेता। हुनका लोकनिक कहब छनि जे एहि बेर बाभन सभक दालि नञि गलल।
आब ध्यान देबऽ योग्य प्रश्न अछि जे कि  एहि बेरका पुरस्कारमे कोनो तरहक राजनिती भेल वा नञि? एहिमे कोनो शक नञि अछि जे शेफालिका वर्मा, महेन्द्र ना. राम आ अरूणाभ सौरभ नीक लेखक छथि। मुदा प्रश्न उठैत अछि जे कि एहिसँ नीक पोथी मैथिली साहित्यमे उपल्बध नञि छल?
ओना आइ काल्हि देखल जा रहल अछि जे जँ अहाँ मैथिली साहित्यमे अपन स्थान बनाबऽ चाहैत छी तँ कामयूनिस्ट बनु, पैघ साहित्यकार सभकेँ  गारि पढ़ू। एहि बेरक पुरस्कार सेहो कतेको प्रश्नकेँ जन्म दैत अछि मुदा एहि बेर कोनो सवाल नञि पुछल जाएत। एहि बेरका पुरस्कार विजेताकेँ  गारि नञि पढ़ल जाएत। चलु जे हो एखन तँ विजेता लोकनिकेँ बधाइ देबाक अवसर अछि। एहिना ओ सभ दिन प्रतिदिन मैथिलीक सेवा करथि रहथि।

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FARMHOUSE CHICKEN EFFECT-ALL WHITE, BRAHMIN AND IMPOTENT -SAHITYA AKADEMI ANNOUNCES YUVA AWARD IN MAITHILI (REPORT GAJENDRA THAKUR)


साहित्य अकादेमी द्वारा युवा पुरस्कारक भेल घोषणा। हिन्दीमे लिखैबला द्वारा मैथिलीमे मात्र पुरस्कार लेल लिखल जेबाक प्रवृत्तिजे सुखाएल मुख्यधारामे पहिनेसँ रहल अछिआ तकरा (नव) ब्राह्मणवादक अन्तर्गत पुरस्कृत कएल जेबाक प्रवृत्ति ओइमे सेहो रहल अछिआब तकर प्रसार ओ अपन जातिवादी युवा मध्य केलक अछि । चेतना समिति आदि संस्था (नवब्राह्मणवादी कट्टरताकेँ ब्राह्मण युवा वर्ग मध्य पसारैत रहबाक चेष्टा करैत रहैत अछि। पोथीक क्वालिटीक स्थानपर चमचागिरीलेखकीय दायित्वक स्थानपर जातिवादी कट्टरता चलिते रहतस्टेटस कोइस्ट युवाकेँवैज्ञानिक (नवब्राह्मणवादी युवा जे अहाँक जातिवादी विचारधाराकेँ चैलेन्ज केनाइ तँ दूरओइमे सहयोग करएकी ऐ तरहक तत्वकेँ बढ़ावा दऽ अहाँ मैथिली साहित्यक पुनर्जागरण बाधक तत्व नै बनि रहल छी।

"निश्तुकी" कविता संग्रहकेँ पुरस्कार नै भेटए ओइ लेल महेन्द्र झाकेँ सहरसा" सँदेवेन्द्र झाकेँ मधुबनी (संप्रति मुजफ्फरपुर)सँ आ योगानन्द झाकेँ बदनाम कबिलपुर गैंगसँ बजाओल गेल आ ई भार देल गेल। आ ओ सभ चुनलन्हि अरुणाभ "झा" सौरभ केँ। सायास "निश्तुकी" कविता संग्रह साहित्य अकादेमी द्वारा नै मंगाओल गेलजे एकटा इलीगल काज अछि। हरबर-दरबरमे निर्णय कएल गेलआब जएह पोथी आबि सकल ओही मध्यसँ ने निर्णय हएतसे तर्क देल गेल। पूर्ण रूपसँ फार्म हाउस चिकेन (उज्जरब्राह्मण आ नपुंसक) मैथिल ब्राह्मण जूरी चुनल गेल जे कोनो रिस्क नै रहए।
ऐ इलीगल काजकेँ हर स्तरपर चुनौती देल जाएत।
मूल पुरस्कार लेल शेफालिका वर्माकेँ चुनल गेल छन्हि आ अनुवाद पुरस्कार लेल महेन्द्र नारायण रामकेँ- दुनू गोटेकेँ बधाइ। संगमे नचिकेताक "नो एण्ट्री: मा प्रविश"सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क विरुद्ध "निश्तुकी" विरोधी तत्व जे तीन सालसँ जान प्राण लगेने अछि जे ऐ पोथी सभकेँ मूल पुरस्कार नै भेटैकसे घोर निन्दनीय अछि। "नो एण्ट्री: मा प्रविश" २००८ मे प्रकाशित रहै आ ई किताब अगिला सालसँ पुरस्कारक रेसमे नै रहतऐ पोथीकेँ मूल साहित्य अकादेमी नै भेटि सकत। मुदा की एकर स्थान मैथिलीक पहिल आ एखन धरिक एकमात्र पोस्टमॉडर्न ड्रामाक रूपमे बरकार नै रहतकी ब्राह्मणवादी विचारधारा ई स्थान ऐ पोथीसँ छीनि सकतसुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" आ जगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी" अगिला साल सेहो रेसमे रहत। मुदा तारानन्द वियोगी आ महेन्द्र नारायण राम किए (नव वैज्ञानिकब्राह्मणवाद द्वारा स्वीकृत छथि आ सुभाष चन्द्र यादव आ मेघन प्रसाद अस्वीकृत ओइ आलोकमे सुभाष चन्द्र यादवक "बनैत बिगड़ैत" क विरुद्ध रामदेव झा- योगानन्द झा- महेन्द्र मलंगिया-मोहन भारद्वाज-मायानन्द मिश्र आदिक षडयंत्र सफल भैयो जँ जाए तँ की सुभाष चन्द्र यादवक मैथिली पाठकक हृदए मे जे स्थान छैसे की कम कऽ सकत ई षडयंत्रकारी सभजगदीश प्रसाद मण्डलक "गामक जिनगी"क स्थान मैथिलीक आइ धरिक सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रहक रूपमे बनि गेल अछिकी ओ स्थान कियो दोसर छीनि सकत?
पढ़ू निश्तुकी आ चमेटा मारू महेन्द्र झादेवेन्द्र झा आ योगानन्द झाकेँ -
निश्तुकी
नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छीएकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
विदेहक सम्बन्धमे धीरेन्द्र प्रेमर्षिकेँ एकटा फकड़ा मोन पड़ल छलन्हि- "खस्सी-बकरी एक्कहि धोकरी"। राजा सलहेसक गाथामे जतऽ सलहेस राजा रहै छथि चूहड़मल चोर भऽ जाइ छथि आ जतऽ चूहड़मल राजा रहै छथि सलहेस चोर भऽ जाइ छथि। साहित्यक ब्राह्मणवाद जातिक आधारपर समीक्षा करैएसमानान्तर परम्पराक उदारवाद कट्टरता विरोधी अछि। समानान्तर परम्परा मिथिला आ मैथिलीक उदार परम्पराकेँ रेखांकित करैए तँ ब्राह्मणवादी समीक्षाकेँ मिथिलाक  कट्टर तत्व प्रभावित करै छै। समानान्तर परम्पराक घोड़ा ब्राह्मणवादी समीक्षामे गधा बनि जाइएआ ब्राह्मणवादी साहित्यमे तँ गधा छैहे नैसभ घोड़ाक खोल ओढ़ने छै। आ सएह कारण रहल जे मैथिलीक सुखाएल मुख्य धाराक साहित्य दब अछि। आ सएह कारण रहल जे अतुकान्त कविता हुअए बा तुकान्तबहरयुक्त गजल हुअए बा आजाद गजलरोलादोहा,कुण्डलियारुबाइकसीदानातहजलहाइकूहैबून बा टनका-वाका सभ ठाम समानान्तर परम्परा कतऽ सँ कतऽ बढ़ि गेलनाटक-उपन्यास-समीक्षाविहनि-लघु-दीर्घ कथा सभ क्षेत्रमे अद्भुत साहित्य मैथिलीक समानान्तर परम्परामे लिखल गेल मुदा ब्राह्मणवादी सुखाएल मुख्यधारा आ जातिवादी रंगमंच छल-प्रपंच आ सरकारी संस्थापर नियंत्रणक अछैत मरनासन्न अछि।



नीचाँमे युवा पुरस्कारक साहित्य अकादेमीक निर्णय तीन पन्ना दऽ रहल छी, एकर प्रिंट आउट करू आ मिथिलाक गाम-गाममे जराबू।
















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