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रविवार, 30 मार्च 2014

कथा गोष्ठमे आबि रहल आरजकता

कथा गोष्ठमे आबि रहल आरजकता

विगत किछ कथा गोष्ठी सगर राति दीप जरयमे किछु तथाकथित साहित्यकार लोकनि आरजकता पसारबाक प्रयास कऽ रहल छथि। हिनका लोकनिक कहब छनि जे ओ लोकनि जे करै छथि वैह ता सत्त अछि मुदा हमरा विचार अछि कोनो नियम वा विवादक फरछौट सर्व सम्मतिसँ कयल जेबाक चाही। हिनका लोकनि द्वार कयल गेल किछु कुकृत्य देखल जाउ...

1* अपने स्वयं कथा गोष्ठिमे कथाा पाठ करबाक बाद ओेंघेता मुदा जँ कोनो आन सहित्यकारसँ सेहो सुता गेलनि तँ ओकर सातो पुश्तकेँ एक कऽ देता।
2* ककरो कथा क करोसँ पढा कोनो पत्रिकामे अपना नामसँ छपेता।
3* कथाक समीक्षा केनिहार समीक्षाकारपर सेहो समीक्षा करेता।
4* सरस्वतीक मापन ई लोकनि जातिगत आधारितपर करता।
5* एखन धरि कोनो पुरस्कार नञि भेटलनि तै ँ सामान्तर पुरस्कारक आरम्भ करेलनि।
6* सुनबामे आबि रहल अछि जे ई लोकनि आब समान्तर कथा गोष्ठीक आयोजन कऽ रहल छथि, जाहिमे किछु जाति विशेषक वचर्श्व रहत तकर पहिनेसँ घोषणा कयल गेल छनि।

अन्तमे हम यैह कहब एहि दलक किछु बुड़ि लेल कथाकारसँ माँ मैथिलीक रक्षा करथ रौना माइ....

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रविवार, 23 मार्च 2014

83म कथा गोष्ठि दरभंगामे

83म कथा गोष्ठि दरभंगामे

समस्त मैथिली साहित्यकार आ साहित्य प्रेमी लोकनिकेँ जनतब दैत अपार हर्ष भऽ रहल अछि जे मैथिली कथा साहित्यक रूपमे एक गोट आन्दोलनक रूप लऽ चुकल कथा गोष्ठि सगर राति दीप जरय केर 83 म आयोजन दिनांक 31 मइ 2014केँ दरभंगामे आयोजित होयत। सभ सहित्कार लोकनिसँ आग्रहमे एहिमे अवश्य उपस्थित हो।

नोट : आयोजन स्थलक जनतब बहुत शीघ्र देल जायत। 

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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

videh aa okar dogla chatiya sabhak naamey khujal patra


हो अनचिन्हार तु जहिया पहिल बेर सोझा आबि चिन्हार हेबै तहिया तोरासँ एक गोट गप हम अवश्य पुछबऽ जे तु कनी हमरा गिनती सिखा दऽ। हौ तोरा अनुसारे हमरा सगर राति दीप जरय आ साहित्य अकादमी द्वारा आयोजित कथा गोष्ठिमे कोनो अन्तर नञि बूझना जाइत अछि। हो तोरेसँ कनी कर जोरि कऽ कहै छियऽ कनी अन्तर बताबऽ ने जे कोन सगर राति दीप जरय होयत वा कोना साहित्य अकादमीक कथा गोष्ठि। 
हौ हमरा तँ लागैत अछि जेना मैथिली साहित्यमे मात्र तुहि सभ ध्वाजाधारक छऽ। जँ तु सभ नञि रहितहक तँ मैथिली तँ रसातालमे चलि जायतै हौ मुदा कनी थमहऽ। तोरा लोकनि (गजेन्द्र ठाकुर, आशीष अनचिन्हार, उमेश मण्डल आ विदेहक क चटिया) केर कथनकेँ सच कोना मानि ली कारणे ँ ओहि कथा गोष्ठिमे जतेक लोक उपस्थित छला हुनका सभक कहब छनि जे ओ सगर राति दीप जरय छल नञि की साहित्य अकादमीक कथा गोष्ठि। आब तु ही कहऽ जे तोरा लोकनिक बातकेँ सच मानी वा महेन्द्र मलंगिया, विभुति आनन्द, रमानन्द झा रमण, अजीत आजाद, कमल मोहन चुन्नु, अरविन्द ठाकुर, ऋषि वशिष्ठ आदी केर बातकेँ सच मानी। 
तहियो जँ तु कहै छऽ तँ तोरा बातकेँ सच मानबा लेल किछु सबूतक आवश्यकता होयत। जँ तोरा सभक लग ओ सबूत छऽ जे साबित कऽ सकै जे दिल्लीमे भेल 76 म कथा रविन्द्र सगर राति दीप जरय केर आयोजन नञि छल। 

तोसर बात एहि बातक विरोध तोरा लोनि अगिला कथा गोष्ठि, ओहिसँ अगला आ ओहिसँ अगला कथा गोष्ठिमे कियक नञि केलहक। बौक भऽ चेन्नइ, दरभंगा आ घनश्यामपुर कथा गोष्ठिमे जगदीश प्रसाद मण्डल आ गजेन्द्र ठाकुर सभक चटिया चुपचाप कियक बैसल रहलै हौ। 
की तोरा लोकनिकेँ छोडि सभ फुसि बाजि रहल अछि। हौ तोरा बातपर विश्वास करी तँ कोना .....??????


भरिसक केकरो गनती नै अबैत हेतै। मुदा लोककेँ ई बुझबाक चाही जे साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी आ सगर राति कथा गोष्ठीमे अंतर होइत छै।

जे नै बुझबा लेल तैयार छथि तिनकाँसँ आग्रह जे ओ आयोजनक भार अपना माथापर लेथि आ ओइ ठामसँ गिनती सही क' लेथि। केकरो ऐमे आपत्ति नै छै।

जखन साहित्यकारे सभकेँ साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी आ सगर राति कथा गोष्ठीमे अंतर नै बुझा रहल छै तखन " अमित मिश्र, चोर रोशन झा," आदिकेँ ई अंतर बुझा क' कोनो लाभ नै।

ओना ई कहब बेजाए नै जे "सगर राति दीप जरए" केर संस्थापक स्व. प्रभाष कुमार चौधरीजी सेहो साहित्य अकादेमीक पाइसँ एकर आयोजन वर्जित केने हेता कारण ओ स्पष्ट रूपसँ एहन व्यवस्था देलखिन्ह जैमे लोक अपन व्यतिगत पाइ लगा क' ई आयोजन करए।

आग्रह जे उताहुल साहित्यकार (" अमित मिश्र, चोर रोशन झा,") आदि बेसी उताहुल नै होथि।

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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

गजल

हेतै खतम गुटबाज बेबस्था
बनतै सभक आवाज बेबस्था

भेलै बहुत चीरहरणक खेला
राखत निर्बलक लाज बेबस्था

देसक आँखिमे नोर नै रहतै
सजतै माथ बनि ताज बेबस्था

मिलतै सभक सुर ताल यौ ऐठाँ
एहन बनत ई साज बेबस्था

"ओम"क मोन कहि रहल छै सबकेँ
करतै आब किछु काज बेबस्था

दीर्घ-दीर्घ-दीर्घ-लघुदीर्घ-दीर्घ-लघु-दीर्घदीर्घ-दीर्घ प्रत्येक पाँतिमे एक बेर।

२२२१-२२१२-२२

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गुरुवार, 23 जनवरी 2014

मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय

          सब स पहिने दिल्ली कार्यक्रम के ले तमाम मिरानीसे सेनानी के हार्दिक शुभकामना, मिथिला राज्य के लेल प्रयास जाहि स्तर पर मिरानीसे द्वारा सम्भव अछि शायद कोनो दोसर मंच सा सम्भव नहीं अछि, पिछला एक दू साल में जे कोनो कार्यक्रम, जन जागरण और धरना प्रदर्शन वा नेतागण नेतागण संग भेट वार्ता काबिलेतारीफ छल।

      आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
            भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि, 

एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
         
           ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी). 

अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। — 

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बुधवार, 15 जनवरी 2014

गाम बदलि रहल अछि



गाम बदलि रहल अछि
समाँग बदलि रहल अछि
छ्नीक सुखक खातीर
लोक चाम बदलि रहल अछि।

गामक फूसक घर
पक्कामे बदलि रहल अछि
शहरक पक्का मकान
टावरमे बदलि रहल अछि।

टीभी रेडिओ
मोबाईलमे बदलि रहल अछि
ब्याहक पबित्र बंधन
लिव इन रिलेशनशिपमे बदलि रहल अछि।

अख़बार आबि गेल नेटपर
चूल्हा गेएशमे बदलि रहल अछि।

पाइ पाइकेँ फरिछोंतमे
भाइ भाइकेँ बदलि रहल अछि
रुपैया नहि आब चौब्बनी अठ्ठनीमे
सिनेह बदलि रहल अछि।

परिभाषा आब सम्बन्धकेँ
खर्चामे बदलि रहल अछि
पिता पुत्रक प्रेम सबहक सोंझा
सराधमे बदलि रहल अछि।

मुखिया बदलि रहल अछि
सरपन्च बदलि रहल अछि
नहि कोनो गामक
समस्या बदलि रहल अछि।

माए कनै छथि एखनो
आँचर तर मुँह नुका कए
अछैते बेटा पुतहु बिनु
नहि हुनक हाथ झरकेनाइ बदलि रहल अछि।

बापक आँखिक नोर
एखनो ताकि रहल अछि
आबि बनेए कियो लाठी
नहि हुनक सपना बदलि रहल अछि।
@जगदानन्द झा ‘मनु’  

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