Ads by: Mithila Vaani

बुधवार, 15 जनवरी 2014

गाम बदलि रहल अछि



गाम बदलि रहल अछि
समाँग बदलि रहल अछि
छ्नीक सुखक खातीर
लोक चाम बदलि रहल अछि।

गामक फूसक घर
पक्कामे बदलि रहल अछि
शहरक पक्का मकान
टावरमे बदलि रहल अछि।

टीभी रेडिओ
मोबाईलमे बदलि रहल अछि
ब्याहक पबित्र बंधन
लिव इन रिलेशनशिपमे बदलि रहल अछि।

अख़बार आबि गेल नेटपर
चूल्हा गेएशमे बदलि रहल अछि।

पाइ पाइकेँ फरिछोंतमे
भाइ भाइकेँ बदलि रहल अछि
रुपैया नहि आब चौब्बनी अठ्ठनीमे
सिनेह बदलि रहल अछि।

परिभाषा आब सम्बन्धकेँ
खर्चामे बदलि रहल अछि
पिता पुत्रक प्रेम सबहक सोंझा
सराधमे बदलि रहल अछि।

मुखिया बदलि रहल अछि
सरपन्च बदलि रहल अछि
नहि कोनो गामक
समस्या बदलि रहल अछि।

माए कनै छथि एखनो
आँचर तर मुँह नुका कए
अछैते बेटा पुतहु बिनु
नहि हुनक हाथ झरकेनाइ बदलि रहल अछि।

बापक आँखिक नोर
एखनो ताकि रहल अछि
आबि बनेए कियो लाठी
नहि हुनक सपना बदलि रहल अछि।
@जगदानन्द झा ‘मनु’  

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP