चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
धन के लोभी कीड़ा सभ - २ मानवता सँ मुह मोइर लेलक,
चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
एक पिता अपन बेटी के जखन ब्याह रचाबैत छैथ,
अपन हस्ती सँ बैढ़ - चैढ के दौलत खूब लुटाबैत छैथ,
सुखी रहती लाडली बेटी सपना खूब सजाबैत छैथ,
अपन चमन के कोरही तोइर के अहाँक हवाले छोइर देलक,
चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
सपना सजा के लाखो दुल्हन घर में आबैत छली,
बिसैर के अपन बाबुल के घर पति पर जान लुटाबैत छली,
असली चेहरा होइत उजागर मन में ओ घबराबैत छली,
अपन जीवन के नैया के ओ भाग्यक भरोसे छोइर देलक,
चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
पिया भेष में जखन कसाई अपन मांग सुनाबैत छैथ,
जुल्म असगरे लागल ढहाबे रोटी के तर्साबैत छैथ,
मांग में लाली भराई बला आय हुनकर खून बाहाबैत छैथ,
अपने हाथे हुनका उठा के जरैत चिता में छोइर देलक,
चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
जागू हे मैथिल के बहिन सभ जुर्म सँ अहाँ के लारबाक अछि,
कसम अछि अहाँ के ओय राखी के निर्भय भ के रहबाक अछि,
झाँसी के रानी बैन के अहाँ के लोहा लेबाक अछि,
कसम उठा के "चन्दन" आय दरिंदा के भांडा फोइर देलक,
चांदी के दीवार नै तोरलक जिगर के टुकरा तोइर देलक,
रचना:-
चन्दन झा "राधे"
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