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मंगलवार, 22 मार्च 2011

बीतल माघ फागुन आयल

बीतल माघ फागुन आयल
फूलो सय लहरैत खेत जग मागायल
जीवन में रस भर आयल
ढलैत ठंड तपते धरती
सरसों अलसी अरहर गेहू
ढो-ढो कर सब घर लयत
रोटी दोनों साझ पकते
काजल नैना पेट भर - भर खेती
फसल अछी निक खाए भरी के
खेत न आयत जायत कियो
और करू मजदूरी जा हम
ओ सब के सब घर पर रहता
नैना माय के हम कहबैन
ओ रोज खेत पर आती
साथ लगा देबैएन काजल नैना के
ताकि कुछ जायदा धन लौती
चाहथिन भगवन अगर तय
अग्न में पहुना औता
अबकी बेर बरी बेटिया
हाथ में हल्दी लगवायब
केथरी-कंबल साठ जे लेता
माघ के रैना गुरगुर करता

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संस्कृती की विडंबना

संस्कृती की विडंबना का
जखन जखन एहसास होया
एकटा प्रश्न बार बार
दिल में तीर जाका चुभेया
हिंदी और अंग्रेजी के बरसात में
मैथिलि भाषा धुंधला से भय गेल
कोण बाला के कारन अपन
संस्कृती अचानक खो गेल
की भेल एहन जे अपन
चन्दन गावर भय गेला ?
शब्दों के असर खो गेल
परिभाषा धुंधला सय भय गेल
कहा गेल ओ पत्थर के पता
चतुराई हवा भय गेल
की भेल एहन जे अपन
चन्दन गावर भय गेला

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मंगलवार, 15 मार्च 2011

दुईगोट मैथिली फगुआ गीत - रचनाकार: जितमोहन झा (जितू)...

नव नवेली नवयौवना सँ विवाह रचेलाक बाद पतिदेव रोजगारक तलाश मे परदेश चैल जैत छथिन! ओ अपन अर्धांग्नी सँ वादा के कs गेल छथिन, की किछ दिन मे कमा - धमा कs ओ वापस गाम ओउता! तकर बाद बड्ड धूम - धाम सँ हुनकर दुरागमन करोउता! मुदा एहेंन नै भेल! प्रियतमक बाट जोहैत - जोहैत ओय नवयुवतीक व्यथा कs हम फगुआ गीतक माध्यम सँ अपने लोकैंन के बिच व्यक्त करे चाहे छी!!! जितमोहन झा (जितू)....

(१) पहिलुक फगुआ गीत...

लागल अछि फागुन मास यो पिया !
हमर कहियो नै भेलई सुदिनवां !!

अगहन निहारलो, हम पूष निहारलो,
माघ महिनवां मे जिया अकुलाबय,
चरहल फागुनवां रिझाबई यो पिया !
हमर कहियो नै भेलई सुदिनवां !!
लागल अछि फागुन.........

राह देखि - देखि हमर दिनवां बीतल,
जुल्मी सजनवां परदेशिया मे खटल,
'पंडित' कs हमर सुधिया नै आबई,
चढ़ल अछि हमरो जवनिया यो पिया !
हमर कहियो नै भेलई सुदिनवां !!
लागल अछि फागुन.........

आमक गाछ पर बाजै कोयलिया,
सुनी-सुनी करेजा मs लागैत अछि गोलिया,
चिट्ठी नै सन्देशवां पठेलो यो पिया !
हमर कहियो नै भेलई सुदिनवां !!
लागल अछि फागुन.........

जल्दी सँ अहाँ टिकटवां कटायब,
एहिबेर बलम हमर गवना करायब,
अहाँ सँ मिल कs जियरा जुरायत,
कचका कोरही सँ फूल फुलायत,
छुटत संगतुरियाकें ताना यो पिया !
हमर कहियो नै भेलई सुदिनवां !!
लागल अछि फागुन मास यो पिया.....


(२) दोसर फगुआ गीत....

फगुआ मे जियरा नै जुरायब यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!

गामक मोहल्ला के राह सजैत अछि,
गल्ली गल्ली मे जोगीरा चलैत अछि,
ढोलक के थाप पर बुढबो नाचैत छैथ,
बुढबो गाबैत छैथ जोगीरा यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा.............

तोरी उखैर गेल, गहुमो पाइक गेल,
आमक गाछ मे मोजर लैद गेल,
सखी सहेली करैत छली मस्करियां,
दूध भंगा घोटायत अपने दुवरियां,
ननदों के बहकल बोलीयां यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा.............

देवर जीक मन सन - सन सनकाई,
राह चलैत हुनक खूब मोंन बहकाई,
देखि के जियरा डराबे यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा..............

गामक छौरा सभ बाजैत अछि कुबोली,
कहलक भोउजी खेलब अहिं संग होली,
रंग गुलाल सँ रंगब अहाँक चोली,
भोउजी भोउजी कैह घेरयाबे यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा..............

आस परोसक लोग ताना मारैत छैथ,
बूढियो मई सेहो मुह बिच्काबैत छैथ,
छौरा जुआन सभ मिल खिस्याबैत छैथ,
चलैत अछि करेजा पर बाण यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा.............

अहाँक बिना सेजयो नै सोभई,
रहि रहि जियरा हमर रोबई,
अहाँक कम्मे पर करब कुन गुमानवां,
सबके बलम छैथ आँखक समनवां,
कोरा मे कहिया खेलत लालनमां यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा..............

सैयां "जितू" कोना गेलो भुलाई,
सावन बीतल आब फगुओ बीत जाई,
अहींक संगे रंगायब हम अपन सारी,
कतो रहब जून पियब भाँग तारी,
फगुआ मे जिया नै जराबू यो पिया !
हमर पाउते चिट्ठी चल आयब !!
फगुआ मे जियरा.............

हमरा आ ब्लॉग परिवारक तरफ सँ समस्त मैथिल बंधूगन के फगुआक हार्दिक शुभकामना....

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शुक्रवार, 11 मार्च 2011

कन्या भ्रूणहत्या पर एकटा कथा।


कुसुम दाई भिंसरे सॅं हिंचैक-हिंचैक के कानि रहल छलीह किएक ने जानि से हमरो नहि बूझना गेल। ऑखि सॅं टप-टप नोर झहैर रहल छलैक कनैत-कनैत केखनो के हमरो दिस तकैत मुदा एक्को बेर चुप हेबाक नाम नहि। हम कॉलेज सॅ पढ़ा केॅं विद्यार्थी सभ के जल्दीए छुटटी दए के किछू काज सॅं आएल रही। जहॉ अंगना अएलहूॅं की केकरो कनबाक अवाज़ सुनलहॅू लग मे गएलहूॅ त देखलीयै जे कुसुम दाई कानि रहल छेलीह। हम लग मे जाके कुसुम के कोरा लेबाक प्रयास कएलहॅू मुदा ओ रूसि केॅं बाजल जाउ पप्पा हम अहॉ सॅ नहि बाजब। एतबाक बाजि ओ रूसि के बरंडा पर सॅ घर चलि गेल। हम दुलार कए के बजलहूॅ कुसुम अहॉ के की भेल हमर सुग्गा ने अहॉ बाजू ने। एतबाक सुनि ओ ऑखिक नोर पोछैत बाजल बाबू अहॅू बेईमान भए गेलहूॅ त आब हम केकरा सॅ अप्पन दुखःक गप कहियौअ अहि निसाफ कहू ने हमर फोटो कहियाअ \ई गप सुनि हम कनेक अचंभित भए गेलहॅू हम फेर सॅं पुछलहूॅ कुसुम अहॉ किएक कानि रहल छलहॅू की भेल से कहू ने। त ओ बाजल बाबू अहॉ त माए के बुझहा सकैत छियैक हमर फोटो लगेबा मे कोन हर्ज हमहूॅ त मनुक्खे छी ने फेर हमरा सॅ बेइमानी किएक? अहिं कहू जे हमर फोटो कहियाअ? एतबाक मे हमर कनियॉ चाह बनौने अएलीह कि ताबैत कुसुम दाई धिया-पूता सभ संगे खेलाई धूपाई लेल चलि गेल। हम एक घोंट चाह पीबि के अपना कनियॉ सॅं पुछलहॅू कुसुम किएक कानि रहल छलैक। हमर कनियॉ मुहॅ पट-पटबैत बजलीह मारे मुहॅ धए के अहिं त ओकरा दुलारू सॅ बिगाड़ि देने छियैअ त अहिं बुझियौअ। हमरा त एखने सॅ निलेशक चिंता लागल अछि केहेन होएत केहेन नहि। हम बजलहॅू बेटाक चिंता त अछि अहॉ के मुदा ई बेटीयो त हमरे अहिंक छी एक्कर चिंता के करतै एसगर हमही की अहॅू? एतबाक सुनि हमर कनियॉ मुहॅं चमकबैत रसोइघर दिस चलि गेलिह।भिंसर भेलैक मुदा राति भरि हम ऑखि नहि मूनलहॅू एक्को रति नीन नहि आएल। भरि राति सोचैत विचारैत रहि गेलहॅू मुदा कुसुम के प्रशनक कोनो जवाब नहि सूझल। भिंसर ठीक सात बजे कुसुम दाई स्कूल जाइ लेल स्कूल बैग लए बिदा भेल त हमरा रहल नहि गेल। हम बजलहॅू कुसुम आई अहॉ स्कूल नहीं जाउ हमहॅू आइ कॉलेज सॅ छुटटी लए लेने छी तहि ,द्वारे दूनू बाप-बेटी भरि मोन गप-शप क लैत छी।एतबाक सुनि कुसुम फुदकैत हॅसैत हमरा लग मे आबि गेल कि हम ओकरा कोरा मे लए के झुला झुलाबए लगलहॅू। कुसुम बाजल पप्पा आई अहॉ पढ़बै लेल कॉलेज किएक नहि गेलहॅू अहॉ कथिक चिंता मे परि गेलहॅू से कहू।हम बजलहॅू चिंता एतबाक जे अहॉक फोटो कहियाअ? मुदा अहॉ हमरा फरिछा के कहब तखने हम बूझहब हमरा अहॉक प्रशनक कोनो जवाब नहि भेट रहल अछि त अहिं साफ साफ कहू। एतबाक सुनि कुसुम दाई बाजल अहिं कहू त पप्पा अहॉ पी.एच.डी माए हमर एम.बी.ए मुदा देबाल पर हमर फोटो नहि। एहि ,द्वारे त हम समाजक सभ लोक सॅ पूछि रहल छी जे हमर फोटो कहियाअ? समाजक सोच कहियाअ बदलत। एक त कोइखे मे हमरा मारि देल जाइत अछि। जॅं बॅचियोअ जाइत छी त हमरा दाए-माए सभक मुहॅ मलीन भए जाइत छन्हि। ओ पहिने सॅ पोता बेटा हेबाक स्वपन देखैत छथहिन मुदा बेटी हेबाक सपना कियो ने देखैत अछि।देखैत छियैक गर्भवति माउगी सभ दू-चारि मास पहिने सॅ देवाल पर बेटाक फोटो लगेने रहैत छैक। अड़ोसी पड़ोसी बजैत छथहिन हे महादेव एहि कनियॉ के बेटा देबैए फलां दाए के पोता देबैए। बेटा हाइए ,द्वारे कौबला पाति सॅ लए के अल्टॉसाउण्ड तक ई पूरा समाज बेटीक दुश्मन अछि। हमर माए त एकटा बेटीए छथहिन मुदा कहियोअ सेहन्तो देवाल पर हमर फोटो नहि लगेलखिन। त हम कोन खराब गप पुछलहूॅ जे हमर फोटो कहियाअ। कोन दिन समाजक सोच बदलत कहियाअ माए बहिन सभ देवाल पर बेटीक फोटो लगेतीह? कहियाअ बेटीक जनम भेला पर ढ़ोल पिपही बजा खुशी मनाउल जाएत मधुर बॉटल जाएत? देखैत छियैक बेटाक जनम भेला पर जिलेबी बुनियॉ मुदा बेटीक जनम भेला पर गुड़-चाउर बॉटल जाइत अछि।ई हमरा सॅ बेईमानी नहि त आर की थीक? पप्पा आई हम समाजक सभ लोक सॅ पूछि रहल छी हमर निसाफ कहियाअ?एखन हम कॉचे-कुमार छी मुदा जेना एखने सॅ हमरा बुझना जा रहल अछि जे हमर कुसुम दाई दुःखित भेल हमरा सॅ हमरा समाजक सभ पुरूख-माउगी सॅ पूछि रहल अछि बाबू अहिं निसाफ कहू हमर फोटो कहियाअ \\लेखक:- किशन कारीग़र

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