गजल
बन्न घरमें भोरमें कानै किए छी
आंखिक नोर सँ सभ सानै किए छी
बुझै छी जनु लगै हमरा सँ भय
प्रिय आन बुझि मोन आनै किए छी
प्रथम भेंट क' अछि आजुक भोर
डॉर होय अहाँ क इ ठानै किए छी
संगे-संग गमायेब सुख आ दुःख
तहन गप अहाँ नै मानै किए छी
लाजे मरै छैक ''रूबी'' यौ प्रियबर
रहस्य एतबो टा नै जानै किए छी
सरल वार्णिक बहर वर्ण -१३
रूबी झा
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