गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
| मुश्किल स भरल या रस्ता देखु, | 
| समय स दुश्मनी के अशर देखु | 
| हुनका याद में राईत भैर जगलो हम, | 
| सुतल छथि ओ घर में बेखबर देखु | 
| दर्द पलक के निचा उभैर रहलैन, | 
| नदी में उठल कने लहर त देखु | 
| के जाने छथि कैल रही या नै रही, | 
| आए छी त कने हम्हरो दिश देखु | 
| होश के बात करेत छलो उम्र भरी, | 
| "मोहन जी" बेहोश छथि एक नैजैर देखु | 
 
 
 
 
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