गजल@प्रभात राय भट्ट
आई हमर मोन एतेक उदास किये 
सागर पास रहितों मोनमें प्यास किये 
निस्वार्थ प्रेम  ह्रिदयस्पर्श केलहुं नहि 
आई मोनमे बहै बयार बतास किये    
हम प्रगाढ़ प्रेमक प्राग लेलहुं नहि 
आई प्रीतम मोन एतेक हतास किये  
प्रेम  स्नेह  सागर  हम  नहेलहूँ नहि 
आई प्रेम मिलन ले मोन उदास किये   
हम मधुर मुस्कान संग हंस्लहूँ नहि   
आई दिवास्वपन एतेक मिठास किये  
"प्रभात" संग पूनम आएत आस किये  
नहि आओत सोचिक मोन उदास किये  
.................वर्ण-१५............................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

 
 
 
 
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