चंचल लड़की जेना माँ - अजय ठाकुर (मोहन जी)
| मरुआ रोटी पर पोरों साग जँका होय अछी माँ | 
| याद आबे या चौका बासन, जाँरनक चुल्हा जेना माँ | 
| चिअरै के आवाज़ में गुंजल राधा मोहन हरी हरी | 
| मुर्गा के आवाज़ सॅ खुलैतं घर कुंडा जेना माँ | 
| कनियाँ,बेटी,बहिन,परोशी थोरबे-थोरबे सबमे छथि | 
| दिन भैर जॉत् में चलैत मुशैर होय जेना माँ | 
| बैँट क चेहरा , माथा आँखी नै जनलो कते गले | 
| फॅटल पुरान गुदरी में एक चंचल लड़की जेना माँ | 
 
 
 
 
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