इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ
इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ
इ बात बादमे लजाएत अहाकें
इजोत देखा कs अन्हार कs देलिएै
पश्चाताप देखू जराएत अहाकें
कुहेश'क परदा छटत जखनि
आंखिक नोर ने सुखाएत अहाकें
आस देखा कs जे आस तोडि देलिएै
खुशी साँच मानू हराएत अहाकें
सुतल रहै जे तकरा ने जगेबै
बहन्ना मे छी के उठाएत अहाकें
सत्ता के क्रिकेट बड ने खेलेलिएै
जनता विकेट उडाएत अहाकें
हाथ जोडि बड्ड जे भोट माँगी लैछी
हाथ जोडि बुझू लौटाएत अहाकें
कथनी आ करनी मे भेद जौं भेलै
दोष तs दुनियाँ देखाएत अहाकें
ओस चटने कहिं पियास मरै छै
इ बात बादमे बुझाएत अहाँकेँ
रचना:-
अनिल मालिक
0 टिप्पणियाँ:
एक टिप्पणी भेजें