Ads by: Mithila Vaani

रविवार, 22 जनवरी 2012

नोर झहरि रहल छल।

नोर झहरि रहल छल।

बहिन उठि नैहर सँ सासुर बिदा भेलीह
बपहारि काटि कानि रहल छलीह
हमहू बाप बाप कानि रहल छलहुँ
आखि सँ टप टप नोर झहरि रहल छल।

माए गे माए भैया औ भैया
एसगर हम आब जा रहल छी
भरदुतिया मे आएब अहाँ
एतबाक आस लगेने हम जा रहल छी।

छूटल नैहर केर सखी बहिनपा
आब मोन पड़त सब साँझ भिंसरबा
छूटल बाबू केर दुअरिया
डोली उठा ल चल हो कहरबा।

जाउ जाउ बहिन जाउ अहाँ अपना गाम
भरदुतिया मे आएब हम अहाँक गाम
माए हमर पुरी पका कए देतीह
हम नेने आएब चिनीया बदाम ।

जुनि कानू बहिन पोछू आखिक नोर
आब सासुर भेल अहाँक अप्पन गाम
सास ससुर केर सेबा करब
व्यर्थ समय गमा नहि करब अराम।

जेहने अप्पन माए बाप
तेहने सास ससुर
नहि करब कहियो झग्गर दन
लोक लाज केर राखब धियान।

भैया यौ भैया अहाँ ठीके कहैत छी
नहि करब हम केकरो स झगरदन
सभ सँ मिली जुलि के हम रहब
गृहलक्ष्मीक दायित्व केर करब निरवहन।

मुदा कोना क कहू औ भैया
छूटल नैहर बिदा भेल छी सासुर
माए कनैत अछि बाबू के लगलैन बुकोर
टप टप झहरि रहल अछि आखि सँ नोर।

धैरज राखू बहिन जाउ एखन अपना गाम
राखि मे चलि आएब नैहर बाबू केर गाम
हसी खुशी सँ गीत गाएब
सभ सखी मिली समा चकेबा खेलाएब।

सभ के प्रणाम क बहिन बिदा भेलीह
मुदा स्नेह स कानि रहल छलीह
दुनू भाए बहिन कानि रहल छलहु
आखि सँ टप टप नोर झहरि रहल छल।


लेखक:- किशन कारीगर

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP