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गुरुवार, 16 मई 2013

मिथिला दर्शनक नव अंकमे साहित्य अकादमीसँ पुरस्कार प्राप्त लेखक विभूति आनन्द जी केर कथा ‘निधी’पढ़ि बड़ निराश भेलौ। कथामे बेसीसँ बेसी शब्द हिन्दी आ अंग्रेजीक प्रयोग कयल गेल अछि। हम आन भाषाक शब्दक विरोधी नञि छी, मुदा जे शब्द मैथिली भाषामे उपल्बध अछि तकर प्रयोग करबामे कोन लाज? एना बुझना जाइत अछि जेना लेखक लग मैथिली शब्दक कमी होइन। दोसर दिस ‘मिथिला दर्शन’ केर सम्पादक मण्डलीपर सेहो प्रश्न चिह्न उठैत अछि। की लेखक जेना अपन रचना लिखि कऽ पठेता तेना छापी देल जेबाक चाही??? की ओहिमे सम्पादकक कोनो दायित्व नञि होइत छनि???


मिथिला दर्शनक नव अंकमे साहित्य अकादमीसँ पुरस्कार प्राप्त लेखक विभूति आनन्द जी केर कथा ‘निधी’पढ़ि बड़ निराश भेलौ। कथामे बेसीसँ बेसी शब्द हिन्दी आ अंग्रेजीक प्रयोग कयल गेल अछि। हम आन भाषाक शब्दक विरोधी नञि छी, मुदा जे शब्द मैथिली भाषामे उपल्बध अछि तकर प्रयोग करबामे कोन लाज? एना बुझना जाइत अछि जेना लेखक लग मैथिली शब्दक कमी होइन। दोसर दिस ‘मिथिला दर्शन’ केर सम्पादक मण्डलीपर सेहो प्रश्न चिह्न उठैत अछि। की लेखक जेना अपन रचना लिखि कऽ पठेता तेना छापी देल जेबाक चाही??? की ओहिमे सम्पादकक कोनो दायित्व नञि होइत छनि???

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