हास्य कथा - अजय ठाकुर (मोहन जी)
प्रभाकर
चौधरी डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेला के बाद ओ अपन दोस्त सब के खुब
भोजन करोलैथ ! और ओहे संगे एक
टा मुर्गा खुब तेल में लाल कैल और एक बोतल
देशी दारू सेहो लक भाल्पट्टी
गाँव के मुखिया जी लम पहुचला !
प्रभाकर चौधरी मुखिया जिक आगा
हाथ जोरी क ठाड़ भ गेला और बजला मालीक
इ हमरा तरप एक छोट-छीन भेट
स्वीकार करियों !
मुखिया जी वाह बहुत नीक सुनलो हन आहा डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेलो हन, प्रभाकर चौधरी जी मालीक, मुखिया जी अपन नोकर के आवाज़ देलखिन और नोकर एलेन और ओ समान ल जै लगलैन, मुखिया जी बुझ्लैथ इ नोकर बहुत चलाक या एकरा कोन तरहे समझैल जे ! मुखिया जी बजला रओ ओही कपरा में बंद एक टा चिरैई छै और ओ बोतल में जहर छै, ताहि लक् तु रस्ता में ओ कपरा नहीं खोलिहे बुझलही, नोकर जी मालीक हम आहा के बात बुझी गेलो ! नोकर समान लक् आगा बढल और एक कात कोंटा में चुपचाप अपन सबटा मुर्गा खा लेलक और दारू सेहो पीबी लेलेक और मचान पर जा क सूती रहल !
मुखिया जी दाँत मजेत, सुंदर सागर पोखेर स नेहेने आबी गेला और अपन कनियाँ स बजला हे यै सुनैत छी हमरा सकरी बजार जै के अछी ताहि दुआरे आहा हमरा किछु जलपान द दिय ! कनियाँ बजलेंन अखन कनी समय लगत कने रुकी जउ !
मुखिया जी अच्छा ओ छोरु नोकर जे देलक से द दिय ओहे काफी या जलपान जोकरक ! कनियाँ बजलेंन नोकर हमरा कहा किछु देलक हन ओ जे एक भोर गेल से अखन तक नजरीओ कहा परल या, इ सुनी क मुखिया जिक तामस माथ और नोकर के ताकअ लगला, ओ देखे छथि सीधी के निचा में सुतल छल मुखिया जी एक लात मारी क उठेला और पुछलखिन त नोकर बजलेंन यऊ मालीक हम लक् आबी रहल छलो त रस्ता में एक आँधी आयल और ओ कपरा उरी गेल जाही में स ओ चिरैई उरी गेल ताहि के डरे हम ओ जहर पी लेलो और हम सूती क मौत के इंतज़ार क रहल छी !
मुखिया जी वाह बहुत नीक सुनलो हन आहा डॉक्दरी के परीक्षा उत्रिन्न भेलो हन, प्रभाकर चौधरी जी मालीक, मुखिया जी अपन नोकर के आवाज़ देलखिन और नोकर एलेन और ओ समान ल जै लगलैन, मुखिया जी बुझ्लैथ इ नोकर बहुत चलाक या एकरा कोन तरहे समझैल जे ! मुखिया जी बजला रओ ओही कपरा में बंद एक टा चिरैई छै और ओ बोतल में जहर छै, ताहि लक् तु रस्ता में ओ कपरा नहीं खोलिहे बुझलही, नोकर जी मालीक हम आहा के बात बुझी गेलो ! नोकर समान लक् आगा बढल और एक कात कोंटा में चुपचाप अपन सबटा मुर्गा खा लेलक और दारू सेहो पीबी लेलेक और मचान पर जा क सूती रहल !
मुखिया जी दाँत मजेत, सुंदर सागर पोखेर स नेहेने आबी गेला और अपन कनियाँ स बजला हे यै सुनैत छी हमरा सकरी बजार जै के अछी ताहि दुआरे आहा हमरा किछु जलपान द दिय ! कनियाँ बजलेंन अखन कनी समय लगत कने रुकी जउ !
मुखिया जी अच्छा ओ छोरु नोकर जे देलक से द दिय ओहे काफी या जलपान जोकरक ! कनियाँ बजलेंन नोकर हमरा कहा किछु देलक हन ओ जे एक भोर गेल से अखन तक नजरीओ कहा परल या, इ सुनी क मुखिया जिक तामस माथ और नोकर के ताकअ लगला, ओ देखे छथि सीधी के निचा में सुतल छल मुखिया जी एक लात मारी क उठेला और पुछलखिन त नोकर बजलेंन यऊ मालीक हम लक् आबी रहल छलो त रस्ता में एक आँधी आयल और ओ कपरा उरी गेल जाही में स ओ चिरैई उरी गेल ताहि के डरे हम ओ जहर पी लेलो और हम सूती क मौत के इंतज़ार क रहल छी !
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