गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
समय देत अगर साथ त हम जरुर मिलब /
होयत अगर दारू के भोज त हम फेर मिलब //
"मोहन जी" ईजोरिया के लेल ओध्लो अन्हरिया /
ढैल जायत अनहरिया राईत त हम फेर मिलब //
हमरा जरुरत नहीं या पुछबाक उत्तर केरी /
पुछल जायत सवाल त हम फेर मिलब //
जितब अगर आहा त बाजी लगा लिय /
देब आहा के सज्जा त हम फेर मिलब //
होयत अगर दारू के भोज त हम फेर मिलब //
"मोहन जी" ईजोरिया के लेल ओध्लो अन्हरिया /
ढैल जायत अनहरिया राईत त हम फेर मिलब //
हमरा जरुरत नहीं या पुछबाक उत्तर केरी /
पुछल जायत सवाल त हम फेर मिलब //
जितब अगर आहा त बाजी लगा लिय /
देब आहा के सज्जा त हम फेर मिलब //
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