Ads by: Mithila Vaani

शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

गजल


आउ मजा लिय' शुरू फेर खेल भ' गेलै।
देखू खेलनिहार सब मे मेल भ' गेलै।

कोनो नियम-निष्ठाक जरूरति नै एत',
कोनो दोग सँ ढुकु, ठेलम-ठेल भ' गेलै।

जकरा किछ लागल नै हाथ, हल्ला करै,
जे लेलक मजा ओकरा त' जेल भ' गेलै।

टिकट बाँटै आ काटै केर कबड्डी शुरू,
चुनाव भेलै नै जेना कोनो रेल भ' गेलै।

जीतला पर सुन्नर कोठा-गाडी भेंटत,
बाटक इ धूरि जनताक लेल भ' गेलै।
-------------- वर्ण १५ ------------

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP