गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
| तरहथ्थी पर दिया जरौंने छी हम | 
| सपना केऽरी ऐहन् सजौंने छी हम | 
| आहा आबू या नै आबू मर्जी आहके | 
| बहुत प्यार-स्नेह सँ बजेलो या हम | 
| लिखलो ओस स आहाक नाम लक | 
| ओहे गीत आहा के सुनलो हन हम | 
| जीवन में खुशी अही स मिलल या | 
| अहि केरी नाम गुनगुनाबे छी हम | 
| "मोहन जी"क नोर के बजह पूछैं छी | 
| दर्द के छल तै बहा रहलो हन हम | 
 
 
 
 
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