गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
| गिरैतऽ अछी जखन नोर आँखी स | 
| झरऽ लागैत अछी दरद आँखी स | 
| भाग्य में हुनका चाँद सुरज होय अछी | 
| देखई में लागैत अछी जे फकीर आँखी स | 
| खीच देता ओ आई अपन छाती पर | 
| जिनगीक दरदकऽ अड्डा आँखी स | 
| फेर नहीं जनि पायब, जायत कते जान | 
| "मोहन जी" छोरी देता जौ तीर आँखी स | 
 
 
 
 
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