Ads by: Mithila Vaani

गुरुवार, 15 दिसंबर 2011



बौआ चलली परदेश@प्रभात राय भट्ट

लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२  

जाईतछें  दूर परदेश  बौआ सबेरे सबेरे
कुशले कुशल रहिहें बौआ साँझ सबेरे 
समय सं खैहें  पीबीहें  डेरा अबिहें सबेरे
झगरा झंझट नहीं करिहें केकरो सं अनेरे  
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

मोन सं करिहें बौआ अप्पन कामधाम
दिहे बौआ अपनो देह केर आराम
खूब  कमैहे  ढौआ रुपैया आर दाम
बौआ कमौआ घुईर अबिहे नहीं गाम
 लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

कोना चल्तौ घरद्वार कोना चूल्हा चौका
छोड़ीएह नै नोकरी भेटलछौ बढियां मौका
बेट्टा धन होएतेछैक बौआ रे परदेश कें
सुख नहीं भेटैएछैक बिनु दुःख कलेश कें 
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

घरक ईआद अबिते बौआ करिहें टेलीफोन
माए बोहीन सं गुप करीकें शांत भsजेतौ मोन 
तोरे कमाई सं हेती जानकिकs कन्यादान
भेजैत रहिहे बौआ   किछु  किछु सरसमान
लS कS झोरा झन्टा बौआ चलली परदेश//
छोईड़कS  अप्पन जन्मधरती अप्पन  देश //२

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP