Ads by: Mithila Vaani

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

गजल


चढल फागुन हमर मोन बड्ड मस्त भेल छै।
पिया बूझै किया नै संकेत केहन बकलेल छै।

रस सँ भरल ठोर हुनकर करै ए बेकल,
तइयो हम छी पियासल जिनगी लागै जेल छै।

कोयली मधुर गीत सुना दग्ध केलक करेज,
निर्मोही हमर प्रेम निवेदन केँ बूझै खेल छै।

मद चुबै आमक मज्जर सँ निशाँ चढै हमरा,
रोकू जुनि इ कहि जे नै हमर अहाँक मेल छै।

प्रेमक रंग अबीर सँ भरलौं हम पिचकारी,
छूटत नै इ रंग, ऐ मे करेजक रंग देल छै।
सरल वार्णिक बहर वर्ण १८
फागुनक अवसर पर विशेष प्रस्तुति।

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP