Ads by: Mithila Vaani

शनिवार, 3 मार्च 2012

गीत:-
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

पंचतत्व रचित इ अधम शरीर
घाऊ अछि सभक मोन में गंभीर
सुख के खोज में दुनिया लागल
राजा रंक जोगी फकीर .............
हो भैया, राजा रंक जोगी फकीर
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

सुख नहि हुनका भेटल जग में
जे दुःख सं मुह मोड़ी पड़ाएल

जराबू मोन में जीवन दर्शन ज्योति
दुःख क सागरमे भेटै छैक
सुख स्वरुप अपार हिरामोती
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

भाग्य सं बढ़ी के जगमे किछु नहीं बलवान
पल में राजा रंक भेल विप्र बनल धनवान
राजपाठ सभ त्यागी भेल राम लखन वनवासी
बिक गेल राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
हो भैया,राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

जीवन एक संघर्ष दुःख छै महा संग्राम
कांटक डगैर चलैत रहू लिय नै विश्राम
दुःख क संघर्ष सं भेटैय छै सुख आराम
दुःख सुख छै जीवन,जिनगी एकरे नाम
हो भैया,जिनगी एकरे नाम ..............
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP