Ads by: Mithila Vaani

गुरुवार, 29 मार्च 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट


               गजल

फुलक डाएरह सुखल सुखल फुल अछी मुर्झाएल
वितल वसंत आएल पतझर देख पंछी पड़ाएल 


भोग विलासक अभिलाषी प्राणी तोहर नै कुनु ठेगाना 
आई एतय काल्हि जएबे जतय फुल अछी रसाएल


अपने सुख में आन्हर प्राणी की जाने ओ आनक दुःख 
दुःख सुख कें संगी प्रीतम दुःख में छोड़ी अछी पड़ाएल 


कांटक गाछ पर खीलल अछी मनमोहक कुमुदिनी 
कांट बिच रहितो कुमुदनी सदिखन अछी मुश्काएल 


बुझल नहीं पियास जकर अछी स्वार्थी महत्वकांक्षा 
होएत अछी तृप्त जे प्रेम में सदिखन अछी गुहाएल


अबिते रहैत छैक जीवन में अनेको उताड चढ़ाव 
सुख में संग दुःख में प्रीतम किएक अछी पड़ाएल
...........वर्ण-२१...................
रचनाकार:-प्रभात राय भ

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP