---गजल---
बात जँ मोनक एकै दिन मेँ बता दैतौ तँ नीक छल
सताबै छी पल मे एकै बेर सतालैतौ तँ नीक छल
तीर आँहाक आँखि के गरैत रहैय अछि सदिखन
एकै बेर मेँ बान जँ करेज धसा दैतौ तँ नीक छल
हमर मोन ऊबडुबा रहल अछि अथाह सागर मेँ
आँहा चितवन के सागर मेँ डुबा लैतौ तँ नीक छल
आँहा त नित स्वप्न मेँ आबि- आबि सतबैय छी हमरा
अपनो सपना मेँ कहियो जँ बजा लैतौ तँ नीक छल
परोक्ष मे सदिखन देखबैय छी अद्भुत प्रेमलीला
प्रत्यक्ष मेँ आबि जँ करेजा सँ सटालैतौ तँ नीक छल
रुबी आँहाक कते कहती तोरी तोरी गाथा विरह के
दरश देब आँहा कहिया जँ बता दैतौ तँ नीक छल
( वर्ण २o)
रुबी झा
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