दहेज
बेटाक बियाह मे टाका त अप्ने लैछी सहेज्
साहुकारक् कर्ज स त हमर टुटैया करेज .
सिन्दुर पान मखानस बैढ क् भेल कार आ गोद्रेज
केहेन आहा निस्थुर भेलौ लै छि आहा दहेज
कोजगरा मे मखान कुँटल् भैर् कहै छि लाउ भार
एहेन आहा किया पिगेल छि धो क् लाज बिचार
पाइ के सँगे अप्सगुन सेहो लक अबै दहेज
धन धान्य के सङे सँग शरीरो भजात निस्तेज
कोरही कुस्ती स बरका बिमारी होइेछै इ दहेज
ज आहा सच्चा मैथिल छि त करु एकर परहेज
उच्च संस्कारी रहल सबदिन अप्पन मिथिला देश
अइछ धिरेन्द्र के सब स बिन्ती नै लिय दहेज
रचना
( धिरेन्द्र )
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