गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
जीवन जिबाक अछी बहुत जरुरी
ठण्ड में बियर आधा,
रम होय पुरी
चाहलो जेकरा पेलो
नहीं ओकरा
शाधना "मोहन
जी" क रहल अधूरी
मोनक बात सच नै भ
पैल
किस्मत के छल नहीं
मंजूरी
ह्रदय फटल देखलो हम
नोर
कियो देखलैथ नै
मज़बूरी
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