गज़ल - अजय ठाकुर (मोहन जी)
सब तरहक रंग में हम फिट भ गेलो |
नेता सब दुनियां में गिरगिट भ गेले |
अफसर सब स ओ मिलत सिवाय जे |
गेटकी पर लटकल होय चिट् भ गेले |
चोर-डाकू और लफंगा-उचक्का सेहो सब |
सब के सब संसद में परमिट भ गेले |
"मोहन जी"हर युग में सदा सूली चढल |
कातिल-झूठा के नारा मगर हिट भ गेले |
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