गजल
धूर जाओ सम्मान क' बात करै छी
तौरे तोर छल सौं आघात करै छी
नित बान्हि बैसई छी बरका पाग
निर्लज बनि बिश्वासघात करै छी
भोरे- भोर देब की भाषणे बैस क'
छी निठ्ठला मुदा माँछ भात करै छी
लुच्चा लफाईर जेकाँ सौंसे घुमै छी
राखि काँख तौर छुरी मात करै छी
गुण-दोख अपन सभ क्यो जानैथ
जनितो किएक बज्रपात करै छी
जागु मैथिल जगाबू मिथिला चलू
भ्रस्टाचार ''रूबी'' एक कात करै छी
सरल वार्णिक बहर वर्ण-13
रूबी झा
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