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गुरुवार, 17 मई 2012

गजल

धूर जाओ सम्मान क' बात करै छी
तौरे तोर छल सौं आघात करै छी

नित बान्हि बैसई छी बरका पाग
निर्लज बनि बिश्वासघात करै छी

भोरे- भोर देब की भाषणे बैस क'
छी निठ्ठला मुदा माँछ भात करै छी

लुच्चा लफाईर जेकाँ सौंसे घुमै छी
राखि काँख तौर छुरी मात करै छी

गुण-दोख अपन सभ क्यो जानैथ
जनितो किएक बज्रपात करै छी

जागु मैथिल जगाबू मिथिला चलू
भ्रस्टाचार ''रूबी'' एक कात करै छी

सरल वार्णिक बहर वर्ण-13

रूबी झा

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