Ads by: Mithila Vaani

गुरुवार, 3 मई 2012


      >>गजल<< 
             
साओंन आओल नै आओल हुनक याइद आबिए गेल मुदा 
आइंख हमर क्यो रंजित नै देखल नोर  बहिए गेल मुदा 

हस्त लिखित मेहँदी भठरंगल डाढ़ियो सौं पात बिलायेल 
जहिये प्रितम के आगमन सबटा पात झरिए गेल मुदा 

कोनो मधुर भावना उमरल पियासल मोनक आँगन में 
नाचो लागल मोनक पखेरू पहुँच एता  डरिए गेल मुदा 

आबू कागा बैसु मुडेर चढ़ी नीक सौं कुचरि- कुचरि क जाऊ 
आवन सुनि प्रीतम क' कने काळ आर अटकिए गेल  मुदा 

कतेक दिन सौं गप्पो नै भेल अछि नै कोनो चिठ्ठी पत्री भेंटल
सबटा इ मन्ग्रन्थ आई  ''रूबी''  त' सपन में रचिए गेल मुदा 

सरल वर्णिक बहर---वर्ण -->२३ 
रूबी झा 

0 टिप्पणियाँ:

एक टिप्पणी भेजें

  © Mithila Vaani. All rights reserved. Blog Design By: Chandan jha "Radhe" Jitmohan Jha (Jitu)

Back to TOP